For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आत्म विश्लेषण क्यों न करे एक बार..........

कहते हैं की इन्सान दुनिया से मुँह चुरा सकता है पर स्वयं से नहीं। जब भी हम कुछ करते हैं अच्छा या बुरा हम स्वयं ही उसके गवाह और न्यायाधीश होते हैं, अगर अच्छा करते हैं तो खुद को शाबासी देते हैं और बुरा करते हैं तो स्वयं को कटघरे में खड़ा कर देते हैं,क्योंकि हम खुद के प्रति उत्तरदायी होते हैं पर ये सारी क्रिया हम दुनिया के सामने करने का साहस  कर सकते हैं … ??? नहीं … ना …!! क्योंकि हम दुनिया से मुँह चुरा रहे होते हैं। हमारे  कार्य जीवन के प्रति हमारे नजरिये से जुड़े होते हैं। हम क्या अच्छा करते हैं क्या बुरा करते हैं ये सब इसी नजरिये की  देन होता है। बुरा करने के बाद भी यदि हमें लगता है कि हमने सही किया है तो हम सही और गलत में फर्क कर पाने में असमर्थ होते हैं और यही से हम ढलान कि ओर सरकना शुरू हो जाते हैं जहाँ से सिर्फ और सिर्फ बुराई कि ओर चल पड़ते हैं और अपनी आत्मा कि आवाज की अनसुनी करने लगते हैं, क्योंकि हमारा मन या चेतना ,आत्मा इसे जो भी कहें हमारे अच्छे या बुरे कर्मों की साक्षी रहती है। वही हमें कटघरे में खड़ा कर सकती है। और वही जीवन के प्रति हमारे गलत नजरिये को सही कर सकती है.

 .

बुराई को बड़ी सरलता से अपनाया जा सकता है और व्यक्ति बुराई की ओर जल्दी झुकता है क्योंकि बुराई हमेशा से इन्सान पर आसानी से हावी हो जाती है जबकि अच्छाई को अपनाने में कठिनाई आती है। अच्छाई में आत्मानुशासन की आवश्यकता होती है और अमूमन इन्सान  इसी बात से बचना चाहता है। अच्छाई का अगर रास्ता इतना ही आसान होता तो सारी  दुनिया में चारों ओर अच्छाई का ही बोलबाला होता, कहते हैं ना ,"बहुत कठिन है डगर पनघट की " , बिल्कुल अच्छाई के लिए यही बात सटीक बैठती  है। 

 .

 बुराई की सबसे  बुरी बात यही है कि वह इंसान को अपनी गिरफ्त में इस तरह से लेती है कि उसे सोचने का अवसर ही नहीं मिल पाता। बुराई वास्तव में एक मकड़जाल कि  मानिन्द है जिसमें एक बार उलझ गए तो निकल पाना पाना इतना सरल नहीं है। हाँ  …इससे  बाहर निकला जा सकता है, बशर्ते कि व्यक्ति जबतक स्वयं न चाहे। बुराई से बाहर निकलने के लिए हमारा विवेक और हिम्मत ही हमारा साथ दे सकते हैं। हौसला  और धीरज रखते यदि शान्त से   सोचेंगे तो हमें अपनी अपनाई हुई बुराई से बाहर निकलने का रास्ता मिल जायेगा। जीवन के प्रति आशावादी और सकारात्मक सोच हमें बुराई कि तरफ जाने से रोकती है और अच्छाई का दामन थामे रखने में हमारी मदद करता करता है  … जरा थोड़ी देर के लिए एक बार रुकें  … और सोचें  … क्या वाकई आप किसी बुराई के शिकार तो नहीं  .... ?? अगर हैं तो कोई  बात नहीं आप उससे बाहर निकल सकते हैं  … बस  … एक कदम अच्छाई कि और बढ़ाएं तो सही  ....!!  

.

यह रचना मौलिक तथा अप्रकाशित है

Views: 447

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 6, 2014 at 2:36pm

एक अच्छी बातचीत को बढ़ाती हुई प्रस्तुति. सार्थक चर्चा के लिए धन्यवाद.

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 1, 2014 at 1:43pm

आदरणीया वीना जी बहुत ही सुन्दर आलेख साझा किया है आपने बहुत बहुत बधाई आपको.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 28, 2013 at 10:21am

 एक बहुत ही सही विषय पर आपने अपना आलेख साझा किया है आदरणीया वीना जी, इन्सान के जीवन में आत्म विश्लेषण बहुत मायने रखता है उसे यह समझ आ सकता है की उसकी गलतियों से उसने क्या खोया है, और अच्छाई से क्या पाया है. कभी कभी इन्सान अपनी सारी खूबियाँ बतलाकर दूसरों के विश्लेषण पर अपनी ही राह में गड्ढे खोदता रहता है, ऐसे रास्तों पर चला जाता है जहाँ से वापस आना मुश्किल होता है|


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 27, 2013 at 8:43pm

आदरणीया वीना जी , एक सार्थक आलेख के लिये आपको बधाई ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। विलम्ब से उत्तर के लिए…"
19 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
21 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
33 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आयोजन की सफलता हेतु सभी को बधाई।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। वैसे यह टिप्पणी गलत जगह हो गई है। सादर"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार।"
8 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)

बह्र : 2122 2122 2122 212 देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिलेझूठ, नफ़रत, छल-कपट से जैसे गद्दारी…See More
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपने अन्यथा आरोपित संवादों का सार्थक संज्ञान लिया, आदरणीय तिलकराज भाईजी, यह उचित है.   मैं ही…"
10 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत शुक्रिया आपका बहुत बेहतर इस्लाह"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी जी, आपने बहुत शानदार ग़ज़ल कही है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी, अपनी समझ अनुसार मिसरे कुछ यूं किए जा सकते हैं। दिल्लगी के मात्राभार पर शंका है।…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service