For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझे इल्जाम मत देना


मै
इक आवाज हूँ.
जब किसी मजलूम के
मुँह से निकलूँ, 
मुझे इल्जाम मत देना.
मै...
जब किसी की
सिसकी बन
आँखों से छलकूँ
मुझे इल्जाम मत देना.
मै...
जब किसी के
दर्द में
कराह बन जाऊं,
मुझे इल्जाम मत देना.
मै...
जब किसी के
दिल से
आह बन टपकूँ,
मुझे इल्जाम मत देना.
मै...
जब किसी के
चहरे पर
ख़ुशी बन चमकूँ,
मुझे इल्जाम मत देना.
मै..................

वीणा सेठी

Views: 574

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on February 22, 2014 at 4:52pm

मर्मस्पर्शी भावों को अभिव्यक्त करती सुन्दर रचना। हार्दिक बधाई, आदरणीया वीणा जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Veena Sethi on July 12, 2012 at 6:40pm

मेरी रचना को पसंद करने व उसपर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए हार्दिक धन्यवाद. भविष्य में भी इसी तरह हौसलाफजाई की तमन्नाई हूँ.
 

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 11, 2012 at 11:00pm

बहुत बढ़िया रचना स्वरों  का भाव अनुसार स्पंदन ......मुझे इल्जाम ना देना

बहुत खूब हार्दिक बधाई

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 11, 2012 at 10:11pm

जब किसी की
सिसकी बन
आँखों से छलकूँ 
मुझे इल्जाम मत देना.
मै...
जब किसी के 
दर्द में
कराह बन जाऊं,
मुझे इल्जाम मत देना.
मै...

काहे का इल्जाम अरे अब सांस सांस पर सेंसर लगता 

आँखे भरी रहें आंसू से मन कराह कर हरदम रोता !!
मार्मिक रचना वीणा जी 
भ्रमर ५ 

 

Comment by deepti sharma on July 11, 2012 at 7:21pm

वाह बहुत खुबसूरत रचना

बधाई आपको

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on July 11, 2012 at 2:01pm

आदरणीया वीणा जी,

आपने 'वाणी' की भावनात्मक व्यथा को बड़े ही मार्मिक ढंग से अभिव्यक्ति प्रदान की है| साधुवाद आपको,

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 11, 2012 at 1:10pm

वाह बेहतरीन पंक्तियाँ सुन्दर अभिव्यक्ति.

Comment by आशीष यादव on July 10, 2012 at 10:55pm

बेहतरीन अभिव्यक्ति


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 10, 2012 at 10:23pm

आवाज़ अभिव्यक्ति संप्रेषण का सबसे सतही माध्यम है लेकिन वीणा सेठी जी की आवाज़ स्वयं शोर नहीं करती बल्कि संत्रस्त भावनाओं को भरपूर चीखने देती है.  यही वह नायाब खूबसूरती है जो चेहरे पर चमक के रूप में दीखती है, बतियाती हुई.. 

वीणाजी को हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 10, 2012 at 8:17pm

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
20 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service