सुबह आठ बजे से उसका साईकल इस एवन्यु में घूम रहा था । उसके भोंपू की आवाज़ एवन्यु के हर कोने तक पहुंच चुकी थी।
मगर न कोठी से कोई भी औरत न ही माँ के साथ बच्चा बाहर आया। उसके साईकल पर लगे बड़े, छोटे गुबारे, छोटी बड़ी कार या कोई बजाने वाले खिलौने सभी उस की तरफ झाक रहे थे । दो घंटे हो गए थे इस एवन्यु दाखल हुए। साईकल की रफ्तार भी धीमी हो चली थी। चेहरा उदास और आँखों में नमी बढने लगी अचानक ही उस ने इक कोठी के आगे साईकल आ लगाई, इक बार बेल्ल बजाई कोई जवाब नहीं आया। उसने फिर बेल्ल बजाई। थोड़ी देर बाद…
Added by Mohan Begowal on July 8, 2018 at 1:00pm — 5 Comments
चाहा ये दिल तेरा पाना हम को।
महका के राहों को जाना हम को।
कहते कोई तो अफ़साना हम भी,
कैसे बुनता ताना बाना हम को।
आये जाये मिलकर बैठे बिछड़ें,
कहना जो भी होता पाना हम को।
कैसा होगा अब ये हम का जीना,
जब राहों इन आना जाना हम को।
औरत बन के तुझको भी आना होगा,
क्यूँ होता इलजाम निभाना हम को।
Added by Mohan Begowal on July 7, 2018 at 3:07pm — 8 Comments
ड्यूटी के बाद मैं घर को पैदल चल पड़ा। ऐसा आजकल मैं अकसर ही करता हूँ। क्यूँ कि डाक्टर ने मुझे ज्यादातर पैदल चलने को कहा है। कुछ कदम चलते ही मेरे साथ रिक्शा इक रिक्शा भी चलने लगा।
चलते हुए बार बार रिक्शे वाला रिकशे पर बैठने को कहता रहा।
“बाऊ जी,दस दे देना,मगर मैं चलता रहा, फिर उसने पास आकर कहा,चलो पाँच ही दे देना।"
“अरे भाई, बात पाँच या दस की नहीं, मैंने कहा। मैं बैठना नहीं चाहता।"
मगर इस बार उस के कहने में एक तरला सा लगा, “बाऊ जी, बैठ जाओ न।“
आखिर, मैं रिक्शे…
Added by Mohan Begowal on July 4, 2018 at 11:30pm — 9 Comments
गीता पाठशाला से अभी घर पहुंची, उसने आते ही माँ से सवाल किया, “ प्रोजेक्ट पर काम तो हम सब बच्चों ने किया था।”
“हाँ, प्रोजेक्ट तो होता ही है कि सभी बच्चे एक साथ काम करें।” मम्मी ने गीता को समझाने के अंदाज़ में कहा
“तो प्रोजेक्ट हम सभी बच्चों की मेहनत से पूरा हुआ ” गीता ने फिर कहा।
"हाँ " ।
“इस का क्रेडिट भी हम बच्चों को मिलना चाहिए ”, गीता ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा
“मगर इनाम तो हमें नहीं मिला", ये तो प्रिंसिपल को मिला” गीता ने कहा
“हाँ, बच्चे ऐसा ही होता है,…
Added by Mohan Begowal on July 3, 2018 at 11:00pm — 9 Comments
Added by Mohan Begowal on July 1, 2018 at 10:13pm — 4 Comments
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