चाहा ये दिल तेरा पाना हम को।
महका के राहों को जाना हम को।
कहते कोई तो अफ़साना हम भी,
कैसे बुनता ताना बाना हम को।
आये जाये मिलकर बैठे बिछड़ें,
कहना जो भी होता पाना हम को।
कैसा होगा अब ये हम का जीना,
जब राहों इन आना जाना हम को।
औरत बन के तुझको भी आना होगा,
क्यूँ होता इलजाम निभाना हम को।
Comment
आदरणीय मोहन बेगोवाल जी, नमस्कार । अच्छी ग़ज़ल की पेशकश के लिए बधाई ।
आ. मोहन जी, अच्छी गजल हुयी है , हार्दिक बधाई ।
आदरनीय समर जी और दोस्तो बहुत शुक्रिया ।
जनाब मोहन बेगोवाल। जी आदाब,बह्र-ए-मीर पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।
आपकी ग़ज़ल बह्र के हिसाब से ठीक है,लेकिन इस बह्र में ये बात भी ध्यान देने योग्य है कि बह्र के साथ मिसरों का लय में होना भी ज़रूरी है और उसके साथ शिल्प की पकड़ भी मज़बूत होना चाहिए,शिल्प और लय के हिसाब से आपके मिसरे कमज़ोर लगे,इस ओर ध्यान देंगे तो ये कमज़ोरी भी दूर हो जायेगी,प्रयासरत रहें ।
आदरणीय मोहन बेगोवाल जी आदाब,
ग़ज़ल का बहुत ही बेहतरीन प्रयास । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।
आद0 मोहन बोगोवाल जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल का बढिया प्रयास है। गुणीजनों के इस्लाह की प्रतीक्षा कीजिये
मेरी बधाई स्वीकार करें।
बहुत बढ़िया ग़ज़ल। हार्दिक बधाई आदरणीय मोहन बेगोवाल साहिब । मुझे ऐसा लगा कि कुछ अशआर में सम्मानित गुरुुजन इस्लाह देेेना चाहेंंगे।
हार्दिक बधाई आदरणीय मोहन बेगोवाल जी । बेहतरीन गज़ल।
कहते कोई तो अफ़साना हम भी,
कैसे बुनता ताना बाना हम को।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online