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तमाम उम्र सहेजी मगर वो बेकार है
अजीब बात है शाइर डगर वो बेकार है
सुहाने चाँद की रातों सफर वो बेकार है
लो अब कहूँ तो कहूँ क्या असर वो बेकार है
बिना किताब बिना बिम्ब काव्य की सर्जना
जो खोलता है मआनी नगर वो बेकार है
नयी - नयी है ये दुल्हन बहार सावनी अब
नया चलन है सो सहवास घर वो बेकार है
हमारे गुरू जी अभी सुन बहुत बड़ी जीत हैं
हवा चहक तो रही…
ContinueAdded by Chetan Prakash on July 27, 2021 at 8:30am — No Comments
221 2121 1221 212
रस्मो- रिवाज बन गयी पहचान हो गयी
वो दिलरुबा थी मेरी जो भगवान हो गयी
मक़तल बना है शहर वो रफ्तार ज़िन्दगी,
मुश्किल हुई है जीस्त कि श्मशान हो गयी
हर शख्स वो अकेला ही दुनिया में आजकल,
क्या वो करें जो कह सकें गुलदान हो गयी
सुन राजदाँ बहुत हुई बेज़ार ज़िन्दगी,
कासिद नहीं आया जबाँ कान हो गयी
जाहिल बने रईस वो हक़दार देश के,
अब हार-जीत उनकी खुदा शान हो…
ContinueAdded by Chetan Prakash on July 22, 2021 at 7:30am — 1 Comment
11212 11212 11212 11212
तुम्हें कह चुका हूँ, मैं दोस्तो मेरे साथ आज बहार है !
है महर खुदा की वो आसरा सो खिवैया ही तो कहार है !
थी नहीं कभी रज़ा जिसकी होड़ - उड़ान में कभी ज़िन्दगी,
कहूँ कैसै वो रहा साथी मेरा जहाँ, सदा बारहा वो तो हार है !
न तुम्हें कोई भी है फिक्र गाँव- गली का वो न लिहाज़ है,
न वो शर्म माँ कि न बाप की, न तुम्हें जड़ों से ही प्यार है !
न वो मानता है किसी भी सोच को जानता नहीं मर्म…
ContinueAdded by Chetan Prakash on July 12, 2021 at 10:05am — No Comments
2122 2122 2122 212
बह्रे रमल मुसम्मन महफूज़:
हिब्ज जिसको राजधानी क्या ज़रूरत धाम की !!
सारी दुनिया है उसी की कब रज़ा हुक्काम की !!
ज़िन्दगी तो दोस्त बस जिन्दादिली का नाम है,
मौज़िजा हो जायेगा यारा इबादत राम की !!
साथ जीते भारती हम मत करें नाहक मना,
अन्त भी होगा यहीं या रब मलानत जाम की !!
आइना टूटा हुआ है, यार देखोगे क्या तुम ?
इल्म की छाया नही है हर खिताबत नाम की !!
कब…
ContinueAdded by Chetan Prakash on July 6, 2021 at 8:53pm — No Comments
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बह्रे रमल मुसम्मन महफूज़:
हिब्ज जिसको राजधानी क्या ज़रूरत धाम की !!
सारी दुनिया है उसी की कब रज़ा हुक्काम की !!
ज़िन्दगी तो दोस्त बस जिन्दादिली का नाम है,
मौज़िजा हो जायेगा यारा इबादत राम की !!
साथ जीते भारती हम मत करें नाहक मना,
अन्त भी होगा यहीं या रब मलानत जाम की !!
आइना टूटा हुआ है, यार देखोगे क्या तुम ?
इल्म की छाया नही है हर खिताबत नाम की !!
कब…
ContinueAdded by Chetan Prakash on July 6, 2021 at 8:09pm — No Comments
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जो चला वो नमाज़ी फँसा रह गया !
दूरियाँ घट गयीं फासला रह गया !!
ज़िन्दगी बंदगी हो सकी गर खुदा,
दूर था प्यार वो पास आ रह गया !!
ना रहा कोई अपना जहाँ दोस्त जाँ,
जीस्त होती रही दिल जला रह गया !
क्या हुआ गर तुम्हारा वो सर झुक गया,
झूठ का दम रहा बेमज़ा रह गया !!
साजिशें चाहे जितनी करे कोई याँ,
सर मरासिम का पर बारहा रह गया !
बख्श…
ContinueAdded by Chetan Prakash on July 6, 2021 at 4:08pm — No Comments
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