कहाँ तूफान था वो तो बयार से कम था
वो भूलने का असर यादगार से कम था
खयाल आते ही मुरझाये फूल खिलते थे
गुमाँ-ए-वस्ल कहाँ इस बहार से कम था
छुपाके अश्क तबस्सुम उधार ले ली थी
कहाँ ये चेहरा मेरा इश्तेहार से कम था
वो याद मुझको किये रात दिन रहा ऐसे
मेरा रक़ीब कहाँ तेरे यार से कम था
खरीददार सा आँखों में रौब था सब के
वो घर कहाँ किसी चौक-ओ-बाज़ार से कम था
मैं ग़मज़दा था, मै निस्तेज था औ' घायल भी
मैं मुन्तसिर था मगर अब की…
Added by भुवन निस्तेज on July 31, 2014 at 10:00pm — 6 Comments
हवा का शौक जब पर कुतरना हो गया है
तभी से इंकलाबी परिन्दा हो गया है
वो मेरी रहगुजर का उजाला हो गया है
उसे है जब भी देखा सवेरा हो गया है
तुम्हारे बिन गुजारा हमारा हो गया है
हमें जीनें का पक्का इरादा हो गया है
यहाँ बस्ती जली थी औ' ये अख़बार चुप था
तिरा आना ख़बर में धमाका हो गया है
शराफ़त,सच व ईमां हो सीरत आदमी की
मियाँ किस वहम में हो तुम्हें क्या हो गया है
ये मौसम संगदिल है या सूरज की…
ContinueAdded by भुवन निस्तेज on July 5, 2014 at 11:00pm — 17 Comments
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