२ २ १ २ २ २ १ २ २ २ १ २
नायक या खलनायक उसे किस खाते लिखूं
या भटकी लाली के संग उस को जाते लिखूं
जिस को खुदा माना कभी हम ने दोस्त
दीया कोई उस की चोखट पर जलाते लिखूं
गा कोई तुम नगमा सुरीला सा मेरे दिल
तुझ को करीब पाऊं लोरी सुनाते लिखूं
वो छोड़ गया जो मुझ को इस भंवर में अब
अब तुम बता मुझको अपना किस नाते लिखूं
उस का करें किस बात पै हम यकीं मोहन ,
करते …
ContinueAdded by मोहन बेगोवाल on July 8, 2013 at 11:00pm — 5 Comments
२१२२ २१२२ २१२ १२
हाथ मिला के जो हमे तन्हा जता गया
साथ मन में चल रहा था वो बता गया
उस को केसे में दयालु मेरे दिल लिखूँ
जेसे वो भगवान बन दुनिया सता गया
फिर चलेंगे तो हमारी होगी कहानी
फिर क्या वो राह हम से कर खता गया
राह कब उस शहर की तरफ मुझे ले गई
राहबर जिस का जाते हुए दे पता गया
दरख्त बूढ़े पै बैठा तन्हा पक्षी मगर
जिंदगी का सच्च राही को बता…
ContinueAdded by मोहन बेगोवाल on July 7, 2013 at 8:00am — 1 Comment
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