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कल की बात याद आते ही एक तो उसका दिल करा उस की कोठी मे काम के लिए न जाए, मगर पेट की भूख उस को आज फिर उसकी  कोठी तक खींच लाई थी |    
"कोई ऐसे भी तो नहीं कह देता कि उसके रिश्तेदार की मौत हो गई| " 

मगर जब बीबी ने कहा," रत्ती ! तुम झूठ बोल रही हो", |
“तो उसे लगा, क्या कोई मौत पर भी झूठ बोल सकता है !”,रत्ती समझ नहीं पा रही थी  |
 संस्कार  पर जाने के लिए,ही  रत्ती ने कहा था |
“तुम पहले भी मेरे घर का काम अच्छे से नहीं करती, अभी कपड़े धोने बाकी हैं”,इसके साथ पता नहीं बीबी ने   रत्ती  को क्या क्या सुना दिया था | 
गुस्सा तब आया जब  बीबी ने  कह दिया कि  “आप तो बहाना बनाती हो”,

मगर रत्ती ने संस्कार पे जाना था, इस लिए बिना किसी बात की तरफ ध्यान दिए,बिना कोठी  से से बाहर निकल गई  |  
पर आज जब रत्ती कोठी में दाखिल हुई,तो, बीबी में एक तबदीली नज़र आई, उसने  माफ़ी मांगने के अंदाज़ में कहा  
“पता नहीं कल मुझे क्या हो गया था, मैने तुझे क्या क्या कह दिया,रत्ती तुझे ” बीबी ने कहा    
“चलो पहले चाय पी लो”,फिर सफाई कर लेना  | 
“नहीं बीबी जी, "घर से पी कर आई हूँ"  

और रत्ती सफाई करने लगी | कुछ देर बाद बीबी जी ने उसे आवाज़ लगाई | 

न चाहते  हुए भी बीबी ने चाय ला कर रत्ती के सामने रख दी | 
 मगर रत्ती को चाय पीते हुए ऐसे लग रहा था, जैसे वह चाय नहीं  समाज में  बाकी रह गई  जहर  को पी कर उसे  कम कर रही हो  |

 

.

"मौलिक व अप्रकाशित"

 

              

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Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 9, 2015 at 1:24pm
बहुत बढ़िया प्रस्तुति आदरणीय मोहन बेगोवाल जी।

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