महिंद्र की सेवानिवृत्ति पार्टी शुरू हो गई | विभाग के कर्मचारियों के साथ महिंद्र के करीब के रिश्तेदार भी आ कर हाल में बैठ गए | थोड़ी देर बाद साहिब भी आ गए | साहिब और कार्यालय के कर्मचारियों ने महिंद्र और उसकी पत्नी को आगे पड़ी कुर्सियों पे बिठाया और उनके गले में हार डाले और उनको गिफ्ट दिए |
इसी समय सब को भोजन परोसा गया और सभी ने खाना शुरू किया, समारोह के चलते, कुछ लोगों को महिंद्र के बारे में कुछ कहने के लिए क्रमवार बुलाया गया |
मगर सभी लोगों की वाणी में इक बात झलकी कि महिंद्र इक बहुत ही परिश्रमी कर्मचारी है और ईमानदारी से नौकरी दौरान उसने अपना काम किया है |
साहिब ने भी अपनी वाणी में भी कुछ ऐसा ही कहा " जब का मैं विभाग में हूँ, मुझे किसी भी तरह की शिकायत महिंद्र के बारे सुनने को नहीं मिली |”
कुछ लोग प्लेटें खाली कर कोल्ड ड्रिंक्स पीने लगे, तभी महिंद्र को आज के मुख्य अतिथि के रूप में कुछ कहने को कहा गया |
जब महिंद्र ने बोलना शुरू किया, तो उस का गला भर आया, उसकी आँखें भी छम-छम बहने लगी |
" मैं आप सभी से मिले प्यार के लिए सभी का आभारी हूँ, मगर क्या मैं आप सब लोगों के साथ वो बात बाँट सकूंगा, जो मैं अपने अंदर लिए बैठा हूँ, हाँ मैं खुद किए पाप से खुद को कैसे माफ कर पाउँगा, जो मैने किया है |”
“कैसा पाप” सभी लोग उस के चेहरे से खोजने लगे |
तब वार्ता जारी रखते हुए महिंद्र ने कहा "मगर मैं क्षमा चाहता हूँ ..., ये नौकरी मेरी नहीं और न ही मैं महिंद्र हूँ, मेरा नाम मुलख है, मगर मैने महिंद्र के नाम पर आए नियुक्ति पत्र को डाकिया को कुछ पैसे का भुगतान कर के ले लिया और इस नाम पर ही नौकरी की, तब मैं गाँव से आया था और मुझे कोई नहीं जानता था | मगर महिंद्र, मुझे नहीं पता कौन कहाँ है या था | मगर वो साया अभी भी ....... महिंद्र कहता गया |
हाल मैं सभी लोग अचंभित हो कर उस की तरफ देखने लगे |
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
ऐसा भी होता है ? क्या फर्जी तरीके इस तरह से नौकरिया हतियाई जाती है ? क्या जांच नहीं होती ? प्रस्तुत कथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार जी\
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