" बाबू जी ! कबाड़ी वाले को क्यों बुलाया था ? "
" बस , यूँ ही . बेटा ."
" यूँ ही क्यों बाबू जी ! आप तो उससे कह रहे थे कि इस घर का सबसे बड़े कबाड़ आप हैं और वह आपको ही ले जाये ."
" इसमें झूठ क्या है ? इस घर में मेरी हस्ती कबाड़ से ज्यादा है क्या ? "
" बाबू जी , प्लीज़ आप ऐसा न कहिये . क्या मैं या इंदु आपका ख्याल नहीं रखते ? "
" दिन भर कबाड़ की तरह घर के इस या उस कोने में पड़ा रहता हूँ और वक्त - बेवक्त तोड़ने के लिए दो रोटियाँ मिल जाती हैं , तुम दोनों ने मेरे…
ContinueAdded by सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा on August 16, 2015 at 9:30am — 5 Comments
1.
तू मेरा हमसफ़र है
दुनिया को तो क्या
तुझे ही पता नहीं.
2.
अबकी सुबह
होगा तेरा दीदार
सोचता तो रोज ही हूँ
3.
माँगा था उसे
इबादत की तरह
सुना है इबादत
कभी बेकार नहीं जाती
4. बड़ी शिद्द्त के बाद
तेरा सामना हुआ
तू तो उम्मीद से आगे
खूबसूरत निकला
5. चलो छोड़ो बहुत हो गया
कोई भला इतनी देर के लिए
भी रूठता है क्या…
ContinueAdded by सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा on August 14, 2015 at 6:00pm — 3 Comments
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