1212 - 1122 - 1212 - 112/22
महब्बतों से बने रिश्ते यूँ बिखरने लगे
मुझी से कट के मेरे मेह्रबाँ गुज़रने लगे
*
मशाल इल्म की फिर से बुझा गया कोई
फ़सादी सारे जिहालत में रक़्स करने लगे
*
अवाम जिनको समझती रही भले किरदार
मुखौटे उन के भी चेहरों से अब उतरने लगे
*
ख़ुलूस और महब्बत के पैरोकार भी अब
धरम के नाम पे आपस में वार करने लगे
*
सिला ये हमको मिला उन से दिल लगाने का
जुनून-ए-इश्क़ में हर…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 18, 2023 at 8:31am — 4 Comments
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