Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 28, 2016 at 11:16am — 13 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 23, 2016 at 9:00pm — 7 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 17, 2016 at 3:30pm — 4 Comments
2122 1222 1212 22
शख्स हर वक्त जो नफ़रत का ज़हर घोले हैं।
खुद को शाइर भला वो जाने कैसे बोले हैं।।
क़ौम की एकता के नाम पर जो भड़काते।
ऐसे बहुरूपिये गिरगिट से बदले चोले हैं।।
मज़हबी आचरण जो सबका जाँचते अक्सर।
पूछिये क्या कभी वो लोग खुद को तोले हैं?
तालियाँ घर के ही लोगों ने जो बजा दी तो।
अपनी औकात से वो ज़्यादा ज़ुबाँ खोले हैं।।
झंडाबरदार-ए-ईमान जो बने खुद से।
वो तो साहित्य की गर्दन पड़े सपोले हैं।।
भक्त पंकज…
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 7, 2016 at 7:30pm — 4 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 6, 2016 at 10:03pm — 4 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 2, 2016 at 6:12pm — 4 Comments
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