तेरी ज़िद है तू ही सही ;
मेरी अहमियत कुछ नहीं ,
बहुत बातें तुमने कही ;
मेरी रह गयी अनकही ,
ये तो मोहब्बत नहीं !
ये तो मोहब्बत नहीं !!
.......................................
हुए हो जो मुझ पे फ़िदा ;
भायी है मेरी अदा ,
रही हुस्न पर ही नज़र ;
दिल की सुनी ना सदा ,
तुम्हारी नज़र घूरती ;
मेरे ज़िस्म पर आ टिकी !
ये तो मोहब्बत नहीं !
ये तो मोहब्बत नहीं !!
..................................
रूहानी हो ये सिलसिला ;
ना इसमें हवस को मिला…
Added by shikha kaushik on August 9, 2016 at 9:27pm — 3 Comments
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