For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'मेरी कविता से मुझे एक नयी पहचान मिले !'

हूँ कवि , मन में मेरे नित यही अरमान पले !
मेरी कविता से मुझे एक नयी पहचान मिले !
...........................................................
कवि हूँ कल्पना को मैं साकार कर देता ,
घुमड़ते उर-गगन में नित सृजन-अम्बुद घने ,
रचूँ कुछ ऐसा यशस्वी 'नूतन' अद्भुत ,
मिले आनंद उसे जो भी इसे पढ़े-सुने ,
कभी नयनों को करे नम कभी मुस्कान खिले !
मेरी कविता से मुझे एक नयी पहचान मिले !
...........................................................
नहीं रच सकता कोई यूँ ही रचना कालजयी ,
कवि की योजना आकार लेती यूँ ही नहीं ,
मिलें जब ज्ञान ,अभ्यास ,कवि का कौशल ,
तभी रच पाती है रचना कोई कल्याणमयी ,
जिसकी हुंकार से है तख़्त दरिंदों के हिले  !
मेरी कविता से मुझे एक नयी पहचान मिले !
............................................................
लिखूं ऐसा कि जगह दिल में बना लूँ सबके ,
मिले ठंडक दिलों को एक बार पढ़-सुन के ,
मेरे पाठक ,मेरे श्रोता मुझे ग़र याद करें ,
मेरी कुछ पंक्तियाँ सज जाएँ लबों पर आ के ,
कवि कब चाहता है ताजमहल-लाल-किले !
मेरी कविता से मुझे एक नयी पहचान मिले !

शिखा कौशिक 'नूतन'

[मौलिक व् अप्रकाशित]

Views: 487

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 19, 2014 at 10:59am

वाह, सुन्दर भाव - हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by shalini kaushik on November 18, 2014 at 11:08pm

avshya milegi aapki kavita aapki sambhavnaon ko prabhavi bal deti nazar aa rahi hai .bahut prabhi abhivyakti badhai .

Comment by shikha kaushik on November 18, 2014 at 10:23pm

somesh ji ,hari prakash ji ,rajesh ji  sarthak v prernadayi tippani hetu aabhar .dr.gopal narayan ji truti kee or dhyan aakarshit karne hetu hardik aabhar 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 16, 2014 at 7:13pm

शिखा जी एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी रचना ओबिओ पटल पर आई बहुत अच्छा लगा ,बहुत बढ़िया प्रस्तुति हार्दिक बधाई 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 16, 2014 at 12:25pm

शिखा जी

कविता में आपने  अपनी बात ढंग से कहें है i तुकांतता का भी ध्यान रखा है i दरिंदो का हिला  के स्थान पर दरिंदो के हिले होना चाहिए i

आपका भविष्य अच्छा है i

Comment by Hari Prakash Dubey on November 16, 2014 at 10:42am

सुन्दर रचना बधाई !

Comment by somesh kumar on November 16, 2014 at 10:12am

जिस दिए से उजाला होगा 

उसी ने संग्राम संभाला होगा 

ए अंधरे इतना ना इतरा 

सुबह तेरा मुँह काला होगा |

स्वीकृति-अस्वीकृति सब वक्त पे छोड़ ,पढ़ते-लिखते रहें एक दिन अवश्य यश प्राप्त करेंगी वो ना भी मिले तो मन  संतुष्ट रहेगा की आप ने कोई कोशिश नहीं रख छोड़ी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
yesterday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
May 31
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
May 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service