कैसे लिखूं कि कविता ;
एक कविता सी लगे ,
बहते हुए भावों की ;
एक सरिता सी लगे !
चंचल किशोरी सम जो ;
खिलखिलाए खुलकर ,
बांध ले ह्रदय को ;
नयनों के तीर चलकर ,
ऐसी रचूँ कि कुमकुम सी
मांग में सजे !
कैसे लिखूं कि कविता ;
एक कविता सी लगे !
हो मर्म भरी ऐसी ;
जो चीर दे उरों को ,
एक खलबली मचा दे ;
पिघला दे पत्थरों को ,
निर्मल ह्रदय जो कर दे ;
वो सुर लिए सधे !
कैसे लिखूं कि कविता ;
एक कविता सी लगे !
तितली का मनचलापन ;
सुरभि लिए कुसुम की ,
आशाओं के गगन में ;
वो चहके पाखियों सी ,
साहित्य के सदन में ;
शहनाई सी बजे !
कैसे लिखूं कि कविता ;
एक कविता सी लगे !
(मौलिक व् अप्रकाशित)
शिखा कौशिक 'नूतन'
Comment
तितली का मनचलापन ;
सुरभि लिए कुसुम की ,
आशाओं के गगन में ;
वो चहके पाखियों सी ,
साहित्य के सदन में ;
शहनाई सी बजे !
कैसे लिखूं कि कविता ;
एक कविता सी लगे !
वाह!
एक अरसे बाद आपका मंच पर आना भला लगा है.
आपकी प्रस्तुति कविता-सी ही है, आदरणीया. .. :-))
हाँ, आप रेगुलर होतीं तो कुछेक विन्दु अबक स्पष्ट हो गये होते.
सभी को रचना से बता दिया
ऐसी लिखों कविता
जैसी रची है ये रचना
जो कविता से लगे | - सुंदर रचना के लिए बधाई आदरणीया शिखा कौशिक जी
बस ऐसे ही लिखिए i कविता सी हे लग रही है i आदरणीया i
हो मर्म भरी ऐसी ;
जो चीर दे उरों को ,
एक खलबली मचा दे ;
पिघला दे पत्थरों को ,
निर्मल ह्रदय जो कर दे ;
वो सुर लिए सधे !
कैसे लिखूं कि कविता ;
एक कविता सी लगे !
वाह बहुतखूब -- अच्छी रचना के लिए बधाई
आदरणीया शिखा कौशिक जी इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई
वो चहके पाखियों सी ,
साहित्य के सदन में ;
शहनाई सी बजे !
कैसे लिखूं कि कविता ;
एक कविता सी लगे !..... सुन्दर रचना ,आपको हार्दिक बधाई आदरणीया शिखा कौशिक जी !
very nice expression
सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु आभार सोमेश कुमार जी
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