एक बार फिर दिल से, गुस्ताखी माफ़ अगर लगे दिल पे
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आज कल हर कोई स्वतंत्रता दिवस के रंग में रंगा है, ऐसे में मेरे मन में कुछ विचार आये है ... जो शायद क्रांति नहीं ला सकते और न ही उनमे कोई बोद्धिकता है | फिर भी लिख रहा हूँ और आप सबके साथ साँझा कर रहा हूँ ....
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बात तब की है, जब मैं बचपने की गोद में खेला करता था, दूरदर्शन पर स्वतंत्रता दिवस के दिन मनोज कुमार की शहीद दिखाई गयी, फिल्म इतनी अच्छी लगी कि मुझे भारत माँ के सबसे महान और वीर बेटे भगत सिंह ही नज़र आने…
ContinueAdded by Sumit Naithani on August 14, 2013 at 6:00pm — 12 Comments
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