For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Manan Kumar singh's Blog – August 2016 Archive (3)

गजल (पुरस्कारों को इंगित) (मनन)

2122 2122 2122 2



मर रहे क्यूँ नाम के अखबार की खातिर

कब बने तमगे कहो फनकार की खातिर।1



लिख रहे जो बात कुछ भी काम आये तो

गर बहें आँसू किसी दरकार की खातिर।2



चाँद-सूरज जल रहे फिर मोम गलती है,

रूठते हैं कब भला उपहार की खातिर।3



बाढ़ आती है जहाँ कुछ- कुछ पनपता है

है कहाँ सब लाजिमी घर-बार की खातिर।4



खुद खुशी हित थी लिखी बहु जन मिताई ही

लिख रहे कुछ लोग निज उपकार की खातिर।5



शोखियों का शौक रखते बदगुमां कुछ…

Continue

Added by Manan Kumar singh on August 23, 2016 at 7:00am — 18 Comments

गजल(मनन)

2212 2212 2212

रिश्ता कभी गहरा कभी घायल लगा

अाँसू कहाँ अबतक भला कहकर बहा?1



डगमग हुई नैया कभी मझधार में

नाविक सजग पतवार ले खेता रहा।2



ढूँढे बहुत मिलती नहीं है चीज जब

हँसता हुआ भी आदमी रोता बड़ा।3



बसती रही हैं चाह में कलियाँ मगर

किस्मत बदा वह झेलता काँटा चला।4



रहता बगल में आदमी क्षण भर कभी

पल में मुखालिफ हो गया क्यूँ मनचला?5



जीती भले ही जंग है अबतक बहुत

लगता रहा क्यूँ हार पर है कहकहा।6



डरता नहीं है… Continue

Added by Manan Kumar singh on August 20, 2016 at 6:30am — 3 Comments

गजल(मनन)

(रमल मुसद्दस सालिम)
2122 2122 2122
हो फटा दामन भले पर मत लजाओ
फेंकते पत्थर जरा उनकी गिनाओ।1

टाँकते फिरते वसन अबतक रहे तुम
अब जरा उनकी हकीकत भी बताओ।2

घाटियों को घर समझने हैं लगे सब
जेब में कौड़ी पड़ी अपनी बताओ।3

दोस्ती कुर्बान अबतक सरहदों पर
पार से आवाज आती कर बढ़ाओ।4

हार जाता जो हमेशा वार कर के
चाहता दुश्मन चलो भी आजमाओ।5
मौलिक व अप्रकाशित@मनन

Added by Manan Kumar singh on August 17, 2016 at 9:30am — 4 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
7 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
10 hours ago
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
11 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं करवा चौथ का दृश्य सरकार करती  इस ग़ज़ल के लिए…"
11 hours ago
Ravi Shukla commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेंद्र जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं शेर दर शेर मुबारक बात कुबूल करें। सादर"
11 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी गजल की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई गजल के मकता के संबंध में एक जिज्ञासा…"
11 hours ago
Ravi Shukla commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय सौरभ जी अच्छी गजल आपने कही है इसके लिए बहुत-बहुत बधाई सेकंड लास्ट शेर के उला मिसरा की तकती…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service