122 122 122 122
उजाले हमें फिर लुभाने लगे हैं
नया गीत हम आज गाने लगे हैं।1
बढ़े जो अँधेरे, सताने लगे हैं
गये वक्त फिर याद आने लगे हैं।2
कदम से कदम हम मिलाके चले थे
पहुँचने में क्यूँ फिर जमाने लगे हैं? 3
लुटे जालिमों से,यहाँ भी ठगे हम
लुटेरे मसीहा कहाने लगे हैं।4
अदाओं ने मारा बहाने बनाकर,
बसे जो ज़िगर खूं बहाने लगे हैं।5
"मौलिक व अप्रकाशित"
Added by Manan Kumar singh on August 14, 2018 at 7:13pm — 11 Comments
2122 2122 212
जब सँभलना आदमी को आ रहा
घुट्टियों का खेल खेला जा रहा।1
पाँव भारी हो गए हैं शब्द के
अर्थ क्या से क्या निकाला जा रहा।2
क्या कुलाँचे भर सकेगा अब शशक
घाव घुटनों में मुआ चिपका रहा।3
थम गई थीं आँधियाँ दुर्द्वंद्व की
कौन जहरीली हवा भड़का रहा?4
चैन से नीरो बजाता बंसियाँ
धुन वही हर शख्स फिर-फिर गा रहा।5
"मौलिक व अप्रकाशित"
Added by Manan Kumar singh on August 5, 2018 at 8:03pm — 3 Comments
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जब सँभलना आदमी को आ रहाAdded by Manan Kumar singh on August 5, 2018 at 7:30pm — 8 Comments
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