गज़ल
1212 1122 1212 22
वो जिसकी मैंने मदद की शरर पे बैठ गया
सितारा हो गया सबकी नज़र पे बैठ गया
गरीब जान के जिसकी कभी मदद की थी
वही ये शहर का बालक तो ज़र पै बैठ गया
वो बार-बार मुझे अपने घर बुलाता था
जो एक बार गया मैं तो दर पे बैठ गया
तुम्हारे जाने से पहले न कोई मुश्किल थी
लो फिर हुआ ये कि तूफाँ डगर पे बैठ गया
बदल गये हैं वो हालात ज़िन्दगी के अब
अगर कहूँ तो शनीचर ही सर पे बैठ…
Added by Chetan Prakash on August 26, 2022 at 4:00am — No Comments
गज़ल
221 2121 1221 212
उम्मीद अब नहीं कोई वो दीदावर मिले
बहतर खुुदा कसम वही चारागर मिले ( मतला )
लगता नहीं है दिल कोई तो हमसफर मिले
अब लौट आ कि हम सनम सारी उमर मिले
अनजान तुम नहीं हो कि मिलते नहीं कभी
कुछ कर सको तो तुम करो मुझको दर मिले
उलझन भरी हैं रातें बड़ी बेहिसी वो दिन
हो दोस्त कोई अपना सही रहगुज़र मिले
दिन- रात हो गये बड़े मुश्किल भी बढ़…
ContinueAdded by Chetan Prakash on August 9, 2022 at 11:30am — 1 Comment
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