यूँ तो अपना था वो कहने को
पर वो अपना हो ऐसा एहसास कहाँ,
उनके दिल में उतर कर देखा जो ख़ुद को
तो जाना उनके दिल में अपना ठौर कहाँ,
ख़ुद तजुर्बा ये मैने है पाया
इस दुनिया में वफ़ा का मोल कहाँ,
झूठे वादों पर चलती है दुनिया
सच का तो अब है मौन यहाँ,
यूँ तो अपना था वो कहने को
पर वो भी अपना हो ऐसा एहसास…
Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on August 2, 2021 at 11:30pm — 12 Comments
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