तो कुछ बात बने
अंधेरों की नहीं ,जीवन में उजाले की कोई बात करो तो कुछ बात बने
निकला हैं दिन अभी,सूरज की किरणों की कोई बात करो तो कुछ बात बने .
क्यूँ बात करते हों उन पतझड़ों की,नव कोपलों की कोई बात करो तो कुछ बात बने
न बातें करो उदास रतजगों की ,प्यार भरी बंसी की कोई बात करो तो कुछ बात बने
सूखी हुई धरा पर बरसा हैं बरखा का जल अभी ,बरस जाए ये भरपूर तो कुछ बात बने
मेहरबां हुई हैं तुम्हारी नजर एक मुद्द्त के बाद , ठहर…
ContinueAdded by सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा on September 23, 2015 at 11:00pm — 1 Comment
अन्य दिनों की अपेक्षा , सुमेर के चेहरे पर तनाव की जगह संतोष झलक रहा था . उनके मन में पत्नी के प्रति क्रतज्ञता के भाव बार - बार उभर कर , शब्दों के माध्यम से निकलना चाहते थे . " बहुत बार तुम जटिल सिचुऐशन को भी बड़े अच्छे से टेकल कर लेती हो . मुझे जरा भी उम्मीद नहीं थी कि इस मामले में इतनी आसानी से सफलता मिल जाएगी .वरना भागीरथ - बाबू ने तो डरा ही दिया था .” खाने की थाली में चपाती की मांग के साथ उसने पत्नी की तारीफ़ की .
" लो यह क्या बात हुई , जी ! हम उस पुलिसीए को कुछ दे ही रहे…
ContinueAdded by सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा on September 4, 2015 at 9:00pm — 5 Comments
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