२२१/ २१२१/ १२२१/ २१२ (अरकान सही क्रम में हैं या नहीं ये मुझे नहीं पता)
मुझ को कोई ख़रीद ले सस्ता किए बग़ैर
रुसवाई यानी हो भी तो रुसवा किए बग़ैर.
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रुख्सत किया है ज़ह’न से यादें लपेट कर,
तन्हा किया है आप ने तन्हा किए बग़ैर.
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झुकिए अना को छोड़ के गर इल्म चाहिए,
मिलता नहीं सवाब भी सजदा किए बग़ैर.
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जिस दर पे पूरी होतीं मुरादें तमाम-तर
हम वाँ से लौट आये तमन्ना किए बग़ैर.
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मुझ को न हो गुरूर मेरे नूर का कभी
रौशन…
Added by Nilesh Shevgaonkar on September 26, 2017 at 11:30am — 27 Comments
22/ 22/ 22/ 22/ 22/ 22/ 22/ 2
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जैसे धुल कर आईना फ़िर चमकीला हो जाता है,
रो लेता हूँ, रो लेने से मन हल्का हो जाता है.
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मुश्किल से इक सोच बराबर की दूरी है दोनों में,
लेकिन ख़ुद से मिले हुए को इक अरसा हो जाता है.
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फोकस पास का हो तो मंज़र दूर का साफ़ नहीं रहता,
मंजिल दुनिया रहती है तो रब धुँधला हो जाता है.
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मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे में कोई काम नहीं मेरा
अना कुचल लेता हूँ अपनी तो सजदा हो जाता…
Added by Nilesh Shevgaonkar on September 16, 2017 at 2:30pm — 55 Comments
२१२२,१२१२,२२ (११२)
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दिल ने थोड़ा मलाल रक्खा है
तेरी यादों को पाल रक्खा है.
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रोज़ मरता हूँ..और मरता हूँ
फिर भी ख़ुद को सँभाल रक्खा है.
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यूँ तो अंजाम जानता हूँ मगर
एक सिक्का उछाल रक्खा है.
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मैं तेरी शोख़ियाँ पकड़ लूँगा
मैंने आँखों में जाल रक्खा है.
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तेरे मिलने तलक जुदाई का
फ़ैसला मैंने टाल रक्खा है.
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ख़ूब पीता हूँ..छक के पीता हूँ
ख़ुद का कितना ख़याल रक्खा है.
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और सारा कुसूर अँधेरे का…
Added by Nilesh Shevgaonkar on September 1, 2017 at 11:36am — 30 Comments
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