For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की-मुझ को कोई ख़रीद ले सस्ता किए बग़ैर

२२१/ २१२१/ १२२१/ २१२ (अरकान सही क्रम में हैं या नहीं ये मुझे नहीं पता)

मुझ को कोई ख़रीद ले सस्ता किए बग़ैर
रुसवाई यानी हो भी तो रुसवा किए बग़ैर. 
.
रुख्सत किया है ज़ह’न से यादें लपेट कर, 
तन्हा किया है आप ने तन्हा किए बग़ैर.
.
झुकिए अना को छोड़ के गर इल्म चाहिए,
मिलता नहीं सवाब भी सजदा किए बग़ैर.
.
जिस दर पे पूरी होतीं मुरादें तमाम-तर  
हम वाँ से लौट आये तमन्ना किए बग़ैर.
.
मुझ को न हो गुरूर मेरे नूर का कभी  
रौशन ख़ुदाया रखना सितारा किए बग़ैर.
.
देकर ज़ुबान लौटने की बँध न जाते “नूर”
रुख़्सत हुए जहान से वादा किए बग़ैर
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 963

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 28, 2017 at 7:33am

शुक्रिया आ. रोहित जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 28, 2017 at 7:33am

शुक्रिया आ. महेंद्र जी 

Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on September 27, 2017 at 8:42pm

उम्दा ग़ज़ल निलेश जी बधाई स्वीकार करें

Comment by Mahendra Kumar on September 27, 2017 at 7:53pm

रुख्सत किया है ज़ह’न से यादें लपेट कर,  
तन्हा किया है आप ने तन्हा किए बग़ैर.  ...वाह! 

हमेशा की तरह एक और उम्दा ग़ज़ल. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ. निलेश सर. सादर.

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 27, 2017 at 4:35pm

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 27, 2017 at 4:34pm

शुक्रिया आ. रवि जी

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 27, 2017 at 4:34pm

शुक्रिया आ. गिरिराज जी

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 27, 2017 at 4:34pm

शुक्रिया आ. पंकजोम जी

Comment by Ravi Shukla on September 27, 2017 at 2:32pm
आदरणीय नीलेश जी बहुत अच्छी ग़ज़ल आपने कही शेर दर शेर मुबारकबाद कुबूल करें

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2017 at 11:53am

वाह वा ! आ. नीलेश भाई , बढिया गज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
12 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
14 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
18 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
2 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
7 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Nov 8
Mamta gupta commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"जी सर आपकी बेहतरीन इस्लाह के लिए शुक्रिया 🙏 🌺  सुधार की कोशिश करती हूँ "
Nov 7
Samar kabeer commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"मुहतरमा ममता गुप्ता जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । 'जज़्बात के शोलों को…"
Nov 6

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service