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अभी जो यूँ सपनो में आने लगें हे /
वो अनहोनी बातें बताने लगें हे /
पता उनके सच का कहाँ झूठ का हे,
जो हर बात पे छटपटाने लगें हे /
चलों नाम लिख दे जरा साथ उन के ,
यहाँ आते जिन को जमाने लगें हे,/
जो दिन बीत जाये दुबारा ना आये ,
कई राज दिल को लुभाने लगें हे /
यूँ शोलों की खातर जलेंगे नहीं हम ,
अँधेरों में दीये जलाने लगें हे /
"मौलिक व…
ContinueAdded by मोहन बेगोवाल on September 8, 2013 at 5:00pm — 8 Comments
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