Added by मोहन बेगोवाल on September 10, 2015 at 8:30pm — 4 Comments
२ १ २ २ १ १ २ २ १ १ २ २ २ २
याद तेरी को ऐसे दिल में छुपा रक्खा है ।
राह जिस पे चले उस को भी भूला रक्खा है ।
लोग सो जाए हमें नींद न आती है अब ,
रात कैसा तेरा अब साथ निभा रक्खा है ।
क्यूँ बता दी हमें उसकी ये कहानी तुमने ,
जो रहा…
ContinueAdded by मोहन बेगोवाल on September 5, 2015 at 4:30pm — 4 Comments
आज उस के चेहरे पर ख़ुशी झलक रही थी । परनीत को लगा जैसे सपना पूरा हो रहा हो । परिवार में ख़ुशी और उदासी दोनों एक साथ नजर आई। पहले जब वो बगैर वीज़ा लोटा तो कई दिन वह उदास रहा था,उसे लगा शायद वह जा न पाऐगा, मगर ऐजेंट ने हौसला देते हुए पूरा यकीन दिलाया था कि बैंड भी पूरे और खाते में बनती रकम भी जमा हो गई है । पर इस बार वीज़े के साथ जाने की टिकट मिल गई । जैसी हवा चली हर कोई , अब तो पूरे एवन्यू में कोई ऐसा घर नहीं जिस में परनीत की उम्र का कोई लड़का हो । परनीत के ज्यादातर साथी भी स्टूडेंट वीज़ा से बाहर…
ContinueAdded by मोहन बेगोवाल on September 3, 2015 at 9:00pm — 6 Comments
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