For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sushil Sarna's Blog – September 2021 Archive (8)

तो रो दिया .......

तो रो दिया .......

मौन की गहन कंदराओं में

मैनें मेरी मैं को

पश्चाताप की धूप में

विक्षिप्त तड़पते देखा

तो रो दिया ।

खामोशी के दरिया पर

मैंने मेरी मैं को

तन्हा समय की नाव पर

अपराध बोध से ग्रसित

तिमिर में लीन तीर की कामना में लिप्त

व्यथित देखा

तो रो दिया

क्रोध के अग्नि कुण्ड में

स्वार्थघृत की आहूति से परिणामों को

जब धू- धू कर जलते देखा

तो रो दिया

सच , क्रोध की सुनामी के बाद जब…

Continue

Added by Sushil Sarna on September 30, 2021 at 10:41pm — 12 Comments

भय

पहाड़ की ऊंची चोटी पर

अपने चारों तरफ

हरियाले वृक्षों से घिरा

मैं ठूँठ सा तन्हा खड़ा हूँ ।

कुछ वर्ष पूर्व

आसमानी बिजली ने

हर ली थी मेरी हरियाली

यह सोच कर कि

वो मेरे तन-बदन को

जर्जर कर मेरे अस्तित्व को

नेस्तनाबूद कर देगी ।

मगर

वक्त के साथ

अपने नंगे बदन पर

मैं मौसम के प्रहार सहते-सहते

एक मजबूत काठ में

परिवर्तित होता गया ।

आज मैं

आसमान से

अपनी विध्वंसक शक्ति का डंका…

Continue

Added by Sushil Sarna on September 27, 2021 at 1:30pm — 8 Comments

वक्त के सिरहाने पर ......

वक्त के सिरहाने पर .........

वक्त के सिरहाने पर बैठा

देखता रहा मैं देर तक

दर्द की दहलीज पर

मिलने और बिछुड़ने की

रक्स करती परछाइयों को

जाने कितने वादे

कसमों की चौखट पर

चरमरा रहे थे 

अरसा हुआ बिछड़े हुए

मगर उल्फ़त के

ज़ख्म आज भी हरे हैं

तुम्हारी बात

शायद ठीक ही थी कि

मोहब्बत अगर बढ़ नहीं पाती

माहताब की मानिंद घटते-घटते

एक ख़्वाब बनकर रह जाती है

और

वक्त…

Continue

Added by Sushil Sarna on September 22, 2021 at 8:30pm — 7 Comments

तुम्हारे इन्तज़ार में ........

तुम्हारे  इन्तज़ार में ........

देखो न !

कितने सितारे भर लिए हैं मैंने

इन आँखों के क्षितिजहीन आसमान में

तुम्हारे इन्तज़ार में ।

गिनती रहती हूँ इनको

बार- बार सौ बार

तुम्हारे इन्तज़ार में ।

तुम क्या जानो

घड़ी की नुकीली सुइयाँ

कितना दर्द देती हैं ।

सुइयों की बेपरवाह चाल

हर  उम्मीद को

बेरहमी से कुचल देती है।

अन्तस का ज्वार

तोड़ देता है

घुटन की हर प्राचीर को

और बहते- बहते ठहर जाता है

खारी…

Continue

Added by Sushil Sarna on September 20, 2021 at 11:46am — 4 Comments

बेबसी.........

बेबसी ........

निशा के श्यामल कपोलों पर

साँसों ने अपना आधिपत्य जमा लिया ।

झींगुरों की लोरियों ने

अवसाद की अनुभूतियों को सुला दिया ।

स्मृतियाँ किसी खिलौने की भाँति

बेबसी के पलों को बहलाने का

प्रयास करने लगीं ।

आँखों की मुंडेरों पर 

बेबसी की व्यथा तरल हो चली ।

आँखों के बन्द करने से कब दिन ढला है ।

मुकद्दर का लिखा कब टला है ।

मृतक कब पुनर्जीवित हुआ है  ।

प्रतीक्षा की बेबसी के सभी उपचार

किसी रेत के महल से ढह गए…

Continue

Added by Sushil Sarna on September 17, 2021 at 5:55pm — 4 Comments

उम्मीद .......

उम्मीद .......

मैं जानती हूँ

बन्द साँकल में

कोई आवाज नहीं होती

मगर होती हैं उसमें

उम्मीद की सीढ़ियों पर सोयी

अनगिनत प्यासी उम्मीदें

किसी के लौट आने की

मैं ये भी जानती हूँ

कि उम्मीद के दामन में

दर्द के सैलाब होते हैं

कुछ हसीन ख़्वाब होते हैं

साँझ के साथ

उम्मीद भी जवान होती है

शब

इन्तज़ार के पैरहन में रोती है

जानती हूँ

उम्मीद झूठी होती है

मगर दिल की बसती में

उम्मीद…

Continue

Added by Sushil Sarna on September 15, 2021 at 4:00pm — 6 Comments

उस रात ....

उस रात .......

उस रात

वो बल्ब की पीली रोशनी

देर तक काँपती रही

जब तुम मेरी आँखों के दामन में

मेरे ख्वाबों को रेज़ा-रेज़ा करके

चले गए

और मैं बतियाती रही

तन्हा पीली रोशनी से

देर तक

उस रात

मुझसे मिलने फिर मेरी तन्हाई आई थी

मेरी आरज़ू की हर सलवट पर

तेरी बेवफाई मुस्कुराई थी

और मैं

अन्धेरी परतों में

बीते लम्हों को बीनती रही

देर तक

उस रात

तुम उल्फ़त के दीवान का

पहला अहसास…

Continue

Added by Sushil Sarna on September 13, 2021 at 3:42pm — 6 Comments

चाँद - चाँदनी पर दोहावली ......

चाँद -चाँदनी पर दोहावली ......

देख रहा है चाँदनी , आसमान से चाँद ।

मिलने आया झील में , नीले नभ को फाँद।1।

देख चाँद को चाँदनी ,करे झील पर रक्स ।

सिमट गया है चाँद का, उजियारी में अक्स ।2।

चाँद फलक का ख़्वाब तो, धवल चाँदनी नूर ।

वीचि -वीचि क्रीड़ा करे, सोम प्रीत में चूर ।3।

विभा चाँद की  देखती, तारों वाली रात ।

नील झील से कौमुदी, करे चाँद से बात ।4।

छुप-छुप देखे चंद्रिका, अपने विधु का रूप ।

बिम्ब चाँद…

Continue

Added by Sushil Sarna on September 3, 2021 at 3:55pm — 5 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service