दोहा पंचक. . . राजनीति
राजनीति के जाल में, जनता है बेहाल ।
मतदाता पर लोभ का, नेता डालें जाल ।।
राजनीति में आजकल, धन का है व्यापार ।
भ्रष्टाचारी की यहाँ , होती जय जयकार ।।
राजनीति में अब नहीं , सत्य निष्ठ प्रतिमान ।
श्वेत तिजोरी मांगती , जनता से बलिदान ।।
भ्रष्टाचारी पंक में, नेता करते ठाठ।
कीच नीर में यूँ रहें, जैसे तैरे काठ ।।
राजनीति के तीर पर, बगुले करते ध्यान ।
मीन…
Added by Sushil Sarna on September 26, 2023 at 2:00pm — 6 Comments
बेटी दिवस पर दोहा ग़ज़ल ....
बेटी घर की आन है, बेटी घर की शान ।
दो दो कुल संवारती, बेटी की मुस्कान ।।
बेटी को मत जानिए, बेटे से कमजोर ,
जग में बेटी आज है, उन्नति की पहचान ।
बेटे को जग वंश का, समझे दावेदार,
बेटे से कम आंकता, बेटी के अरमान ।।
धरती अरु आकाश पर , लिख दी अपनी जीत,
बेटी ने अब छू लिया , धरा से आसमान ।।
बेटी अबला अब हुई, अतुल शक्ति पर्याय ,
उसके साहस को करे, नमन सारा जहान…
Added by Sushil Sarna on September 25, 2023 at 11:56am — 4 Comments
मधुमालती छंद ....
1
डर कर कभी, रोना नहीं ।
विश्वास को, खोना नहीं ।
तूफान में, सोना नहीं ।
नफरत कभी , बोना नहीं ।
***
2
क्षण- क्षण बड़ा, बलवान है ।
संग्राम की, पहचान है ।
हर पल यहाँ, संघर्ष है ।
पल भर यहाँ , बस हर्ष है ।
***
3
सपने कभी ,मरते नहीं
दीपक सभी , जलते नहीं ।
थोड़ी यहाँ, मुस्कान है ।
ढेरों यहाँ , व्यवधान है ।
***
4
हर वक्त ही,बस काम है।
जीवन इसी का नाम है ।
थोड़ी यहाँ, पर…
Added by Sushil Sarna on September 21, 2023 at 8:12pm — No Comments
दोहा सप्तक. . . संसार
औरों को देखा मगर, कब समझा इंसान ।
संचित सब कुछ छोड़ता, जब होता अवसान ।।
कहते हैं लगती नहीं, कभी कफन में जेब।
फिर भी धन की लालसा, देती उसे फरेब ।।
आने पर जैसे करें, जीव रूप सत्कार ।
पुष्पों से ढकते कफन ,जब छूटे संसार ।।
जीत क्षुधा मिटती नहीं, मिट जाती यह देह ।
नश्वर तन से जीव का, कब मिटता है नेह ।।
कर्मों का करता सदा, पीछे जगत बखान ।
रह जाती बस जीव की, अमिट यही पहचान…
Added by Sushil Sarna on September 11, 2023 at 2:00pm — No Comments
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