२२१/ २१२१/ २२२/१२१२
रस्ते सभी जहाँ के ढब आसान जिंदगी
तू ही उलझ के रह गयी नादान जिंदगी।१।
पानी हवा बहुत है यूँ जीने के वास्ते
करती इकट्ठा मौत का सामान जिंदगी।२।
जीवन नहीं करे है तू जीवन सा पर करे
सासों पे झूठ - मूठ का अहसान जिंदगी।३।
क्यूबा बनी सोमालिया, ईराक, सीरिया
कब होगी तू पता नहीं जापान जिन्दगी।४।
देती है उसको मान ढब आती है मौत…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 26, 2019 at 6:54am — 8 Comments
२२२२/२२२२/२२२
अश्क पलक से भीतर रखना सीख लिया
गम थे बेढब फिर भी हँसना सीख लिया।१।
जख्म दिए हैं जब से हँसकर फूलों ने
काँटों को भी फूल हैं कहना सीख लिया।२।
कदम- कदम पर खंजर रक्खे अपनों ने
हम भी शातिर जिन पर चलना सीख लिया।३।
दीप बुझा करते है जिसके चलने पर
उस आँधी से हमने जलना सीख लिया।४।
उनकी कोशिश थी पत्थर से अटल रहें
नदिया बनकर हम ने बहना सीख लिया।५।
मौलिक/अप्रकाशित
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 18, 2019 at 7:29pm — 4 Comments
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