शोर कैसा भी हो, मेरे दिल को, अब भाता नहीं |
चहचहाना भी परिंदों का, सुना जाता नहीं ||
दावा करते थे, मेरा होने का,पहले जो कभी |
नाम मेंरा उनके लब पर, आज-कल आता नहीं ||
हूँ चमन में,आज भी, पर दिल में, जंगल आ बसा |
Added by Shashi Mehra on October 5, 2012 at 7:22pm — 1 Comment
हाल कैसा भी हो, पर जहाँ को,
हाल अच्छा बताना पड़ेगा |
अश्क पलकों पे ठहरे जो आकर,
हैं ख़ुशी के, बताना पड़ेगा ||
दिल है तोडा किसी बेवफा ने,
यह न कहना, ज़माना हसेगा |
है यही वक़्त का अब तकाज़ा,
दर्द, दिल में छुपाना पड़ेगा ||
साथ जी लेंगे, पर न मरेंगे,
बात सच्ची है, मत भूल जाना |
झूठ को झूठ कहना पड़ेगा,
सच को सच ही बताना पड़ेगा ||
फिर मिलेंगे ये वादा न करना,
ज़िन्दगी का भरोसा नहीं है |
वरना दोज़ख नुमाँ इस ज़मीं पर,…
Added by Shashi Mehra on October 4, 2012 at 8:30am — 2 Comments
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