Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on October 5, 2017 at 1:30pm — 5 Comments
एक ख्वाहिश पूरी कर दे तू इबादत के बगैर
वो आ कर गले लगा ले मेरी इजाजत के बगैर
ऐ खुदा हुस्न और दौलत तो तेरी कुदरत है
मैं मानूँ अगर वो अपना ले मुझे इनके बगैर
बोल कर इज़हार क्यों करूँ अपने इश्क़ का
मैं मानूँ अगर वो जान जाये इशारे किए बगैर
यूँ तो आदत नही किसी को देखूं मुड़ कर
पर दिल करता है देखूं तुझे पलकें गिरे बगैर
शौक लगा उसी दिन मुहब्बत का मुझे यारों
दिल खो गया था जिस दिन खोये बगैर
कोई उम्मीद,दिलासा दे दे मुलाकात…
ContinueAdded by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on October 1, 2017 at 10:26pm — 4 Comments
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