रहने भी दो अब सनम, आपस की तकरार ।
बीत न जाए व्यर्थ में, यौवन के दिन चार ।
यौवन के दिन चार, न लौटे कभी जवानी ।
चार दिनों के बाद , जवानी बने कहानी ।
कह 'सरना' कविराय, पड़ेंगे ताने सहने ।
फिर सपनों के साथ, लगेंगी यादें रहने ।
सुशील सरना / 25-10-21
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on October 25, 2021 at 1:30pm — 9 Comments
कुछ दर्द
एक महान ग्रन्थ की तरह होते हैं
पढना पड़ता है जिन्हें बार- बार
उनकी पीड़ा समझने के लिए ।
ऐसे दर्द
अट्टालिकाओं में नहीं
सड़क के किनारों पर
पत्थर तोड़ते
या फिर चन्द सिक्कों की जुगाड़ में
सिर पर टोकरी ढोते हुए
या फिर पेट और परिवार की भूख के लिए
किसी चिकित्सालय के बाहर
अपना रक्त बेचते हुए
या फिर रिश्तों के बाजार में
अपने अस्तित्व की बोली लगाते हुए
अक्सर मिल जाते…
Added by Sushil Sarna on October 22, 2021 at 1:30pm — 6 Comments
मीठे वादे दे रही, जनता को सरकार ।
गली-गली में हो रहा, वादों का व्यापार ।1।
जीवन भर नेता करे, बस कुर्सी से प्यार ।
वादों के व्यापार में, पलता भ्रष्टाचार ।2।
जनता को ही लूटती,जनता की सरकार ।
जम कर देखो हो रहा, वादों का व्यापार ।3।
जनता जाने झूठ है, नेता की हर बात ।
झूठे वादों को मगर, माने वो सौगात ।4।
भाषण में है दक्ष जो ,नेता वही महान ।
वादों से वो भूख का, करता सदा निदान ।5।
सुशील सरना /…
ContinueAdded by Sushil Sarna on October 17, 2021 at 4:30pm — 2 Comments
अपने दोहे .......
पत्थर को पूजे मगर, दुत्कारे इन्सान ।
कैसे ऐसे जीव का, भला करे भगवान ।1।
पाषाणों को पूजती, कैसी है सन्तान ।
मात-पिता की साधना, भूल गया नादान ।2।
पूजा सारी व्यर्थ है, दुखी अगर माँ -बाप ।
इससे बढ़कर सृृष्टि में , नहीं दूसरा पाप।3।
सच्ची पूजा का नहीं, समझा कोई अर्थ ।
बिना कर्म संंसार में,अर्थ सदा है व्यर्थ ।4।
मन से जो पूजा करे, मिल जाएँ भगवान ।
पत्थर के भगवान में, आ जाते हैं प्रान…
Added by Sushil Sarna on October 16, 2021 at 3:21pm — 7 Comments
मुक्तक
आधार छंद - रोला
10-10-21
छूट गए सब संग ,देह से साँसें छूटी ।
झूठी देकर आस, जगत ने खुशियाँ लूटी ।
रिश्तों के सब रंग ,बदलते हर पल जग में -
कैसे कह दें श्वास ,देह से कैसे टूटी ।
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बहके-बहके नैन, करें अक्सर मनमानी ।
जीने के दिन चार, न बीते कहीं जवानी ।
अक्सर होती भूल, प्यार की रुत जब आती -
भर देती है शूल, जवानी मैं नादानी ।
सुशील सरना…
ContinueAdded by Sushil Sarna on October 9, 2021 at 4:38pm — 5 Comments
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