हम याद तुम्ही को करते थे,
छुप छुप के आहें भरते थे,
मदहोश हुआ जब देख लिया
सपनों में अब तक मरते थे.
रूमानी चेहरा, सुर्ख अधर,
शरमाई आँखे, झुकी नजर,
पल भर में हुए सचेत मगर,
संकोच सदा हम करते थे.
कलियाँ खिलकर अब फूल हुई,
अब कहो कि मुझसे भूल हुई,
कंटिया चुभकर अब शूल हुई,
हम इसी लिए तो डरते थे.
अब होंगे हम ना कभी जुदा,
बंधन बाँधा है स्वयं खुदा,
हम रहें प्रफुल्लित युग्म सदा,
नित आश इसी की करते…
Added by JAWAHAR LAL SINGH on November 30, 2014 at 8:58pm — 22 Comments
अच्छा नहीं होता गुस्सा
पर हो जाता है
मन में गुस्सा
जब कभी
मन माफिक नहीं होता
कोई भी काम
नहीं मानते
अपने ही कोई बात
फिर क्या करें ?
हो जाएँ मौन ?
फिर समझ पायेगा कौन?
आप सहमत हैं या असहमत
क्योंकि
लोग तो यही कहेंगे
मौनं स्वीकृति लक्षणं
मन में रखने से कोई बात
हो जाता नहीं तनाव ?
तनाव और गुस्सा
दोनों है हानिकारक
तनाव खुद का करता नुक्सान
गुस्सा खुद के…
ContinueAdded by JAWAHAR LAL SINGH on November 27, 2014 at 10:20am — 18 Comments
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