२१२२//१२२१/२२१२
मुफलिसी में ही जिसका गुजारा हुआ
कौन शासन जो उस का सहारा हुआ।१।
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उसको जूठन का मतलब न समझाइए
जिस ने पहना हो सब का उतारा हुआ।२।
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चाद किस्मत में उस के नहीं था मगर
आस भर को भी कोई न तारा हुआ।३।
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जिस ने जीवन जिया है सहज कष्ट में
आप कहते हैं उस को ही हारा हुआ।४।
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है …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 21, 2020 at 6:22am — 8 Comments
मेटती आयी है घर की तीरगी दीपावली
सब के मन में भी करे अब रोशनी दीपावली।१।
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रीत कितने ही युगों से चल रही हो ये भले
हर बरस लगती है सब को पर नई दीपावली।२।
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तोड़ आओ ये नगर का जाल कहती साथियों
गाँव की नीची मुँडेरों पर जली दीपावली।३।
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दीप सब ये प्रेम और' विश्वास के हैं इसलिए
आँख चुँधियाती नहीं साथी घनी दीपावली।४।…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 14, 2020 at 8:57am — 8 Comments
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