चले भी आओ की थोड़ी सी प्रीत निभा लें
वर्ष नया मंगलमय कहने की रीत निभा लें
कहना यह भी था कि
जाते साल के इतने तो उधार बाकी हैं
कुछ मुझ पर कुछ तुम पर उपकार बाकी हैं
शुकराने की सुरमय सरगम सजा लें
वर्ष नया मंगलमय कहने की रीत निभा लें
कहना यह भी था कि
कोई वादा अभी भी अधूरा सा है
आँखों में उम्मीद का चूरा सा है
वादे की हदों की हदें ही मिटा लें
वर्ष नया मंगलमय कहने की रीत निभा लें
कहना यह भी था कि
कुछ चुभने हैं बाकी जो कसकती…
Added by amita tiwari on December 30, 2016 at 4:11am — 6 Comments
Added by amita tiwari on December 15, 2016 at 11:17pm — 2 Comments
Added by amita tiwari on December 3, 2016 at 7:18pm — 7 Comments
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