For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वीकार कोई कैसे करे

स्वीकार तो पहले भी कहाँ था 
लेकिन तब स्थिति ऐसी कहाँ थी 
अब तक सर हिलाने की
अस्वीकारने की  भी अनुमति कहाँ थी 
 सर को झुकाये रहता था भार 
निरन्तर हर बार लगातार 
सर को उठने नहीं देता था भार 
वर्जनाओं का  विडम्बनाओं का 
सम्भावित असहनीय सज़ाओं का 
दहलीज का ,आरोपित तमीज़  का 
गलती गलाती  दुर्गंध उपजाती 
सम्बन्धों की सियासतों का 
स्वप्रभुओं की विरासतों का 
सर को झुकाये रखता था भार 
निरन्तर हर बार लगातार 
स्वीकार तो पहले भी कहाँ था 
लेकिन तब स्थिति ऐसी कहाँ थी 
जब अतियों की अति हो जाए  
सतियां  तक  सती  हो जाए  
जग जाहिर सत्य परीक्षा परिणाम हों 
नित नयी परीक्षा के आयाम हों
एकलव्य  शर-संधान वंचित रहे 
कर्ण वंश - प्रश्न- दंश संचित रहें
त्याग -राग- विराग  बेमानी सिद्ध हों  
षडयन्त्र लांछन परित्याग नित्यप्रति
अहिल्या श्राप निरंतर अवरुद्ध हों 
तो  कितना कोई  पथराये 
जब अतियों की अति हो जाए 
जब हास्यस्पद बलियों के बलिदान हो 
होरी के निरर्थक गोदान हो  
सार्वजनिक सब निजी होने लगे 
खलिहान नीवं  निज खोने लगे
तो शेष रह ही  क्या  जाता है  
जिसे स्वीकार किया जाए 
अथवा अस्वीकार भी 
तो यही सही युग -चीत्कार यह 
अब आखिरी एक हुंकार यह 
कि अब नहीं स्वीकार यह 
मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amita tiwari on December 15, 2016 at 11:24pm

आ०  समीर जी ,सुरेन्द्र जी  ,मिथिलेश जी,भंडारी जी ,विजय जी ,राजेश कुमारी जी ,  

आप की उत्साहजनक टिप्पणियों  के लिए 

ह्रदय से आभार 

सादर 

अमिता 

Comment by नाथ सोनांचली on December 6, 2016 at 3:46am
आदरणीया अमिता तिवारी जी भाव पूर्ण कविता, बधाई स्वीकार करें।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 4, 2016 at 10:30pm

आदरणीया अमिता जी, बहुत बढ़िया और भावपूर्ण प्रस्तुति हुई है. हार्दिक बधाई. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 4, 2016 at 9:41pm

आदरनीया बहुत सुन्दर भाव पूर्ण रचना हुई है , हार्दिक बधाई ।

Comment by vijay nikore on December 3, 2016 at 6:33pm

उत्तम भावपूर्ण प्रस्तुति। हार्दिक बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 3, 2016 at 5:10pm

आद० अमिता तिवारी जी ,आज की सामाजिक विसंगतियों से उपजे भावों से ओतप्रोत  बहुत अच्छी प्रस्तुति है बहुत बहुत बधाई 

Comment by Samar kabeer on December 3, 2016 at 4:50pm
मोहतरमा अमिता तिवारी जी आदाब,बहुत ही भावपूर्ण कविता लिखी है आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service