कहते हैं की इन्सान दुनिया से मुँह चुरा सकता है पर स्वयं से नहीं। जब भी हम कुछ करते हैं अच्छा या बुरा हम स्वयं ही उसके गवाह और न्यायाधीश होते हैं, अगर अच्छा करते हैं तो खुद को शाबासी देते हैं और बुरा करते हैं तो स्वयं को कटघरे में खड़ा कर देते हैं,क्योंकि हम खुद के प्रति उत्तरदायी होते हैं पर ये सारी क्रिया हम दुनिया के सामने करने का साहस कर सकते हैं … ??? नहीं … ना …!! क्योंकि हम दुनिया से मुँह चुरा रहे होते हैं। हमारे कार्य जीवन के प्रति हमारे नजरिये से जुड़े होते हैं। हम क्या अच्छा करते…
ContinueAdded by Veena Sethi on December 27, 2013 at 5:30pm — 4 Comments
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