सेवा का थोड़ा व्रत रख लें
सेवा का मीठा फल चख लें ।।
यह दुनिया खुद की मारी है ,
खुदगर्ज यहाँ हर मानव है ,
अपने छोटे पेट की खातिर
कुकर्म करे यह नित नव है ।
गैरों को थोडा अपना कह लें --सेवा का मीठा फल चख लें ।।
जो देख रहे वह दुनिया नही ,
यह तो बस केवल मरघट है ,
कहने वालेतो कहते ही रहेंगे
यहाँ लोभ-मोह का जमघट है ।
इससे तो अब थोड़ा बच लें ----सेवा का मीठा फल चख लें ।।
गीता-गुरु को भुला कर…
ContinueAdded by श्रीराम on December 25, 2012 at 8:58am — 6 Comments
( कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या लिखूं ........लेकिन जब कलम उठाया तो जो लिखा आपके सामने है ....आशा है आपको पसंद आएगी )
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दूर से देखने में जो अच्छा लगे ,
पास आने में वो ना अच्छा लगे ।।
जिन आँखों में चाहत हो प्यार की
कभी देखे या ना देखे अच्छा लगे ।।
जैसे बगिया हो कोई पहरों के बीच
फूल तोड़े ना कोई तो अच्छा लगे ।।
नाम हो रोशनी से बहुत ही भला
काम आये सबको तो अच्छा लगे ।।
चाँद उतरे जमीं पे तो…
Added by श्रीराम on December 15, 2012 at 10:00am — 4 Comments
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