नया साल है चलकर आया देखो नंगे पांव
आने वाले कल में आगे देखेगा क्या गाँव
धधक रही भठ्ठी में
महुवा महक रहा है
धनिया की हंसुली पर
सुनरा लहक रहा है
कारतूस की गंध
अभी तक नथुनों में है
रोजगार गारंटी अब तक
सपनों में है
हो लखीमपुर खीरी, बस्ती
या, फिर हो डुमरांव
कब तक पानी पर तैरायें
काग़ज़ वाली नांव !
माहू से सरसों, गेहूं को
चलो बचाएं जी
नील गाय अरहर की बाली
क्यों…
ContinueAdded by Rana Pratap Singh on December 28, 2013 at 2:30pm — 40 Comments
फाइलातुन फइलातुन फइलुन/फैलुन
मुझ पे इलज़ाम अगर लगता है
आपके ज़ेरेअसर लगता है
तुझमे खूबी न जिसे आये नज़र
वो बड़ा तंगनज़र लगता है
इक दिया हमने जलाया था कभी
अब वही शम्सो क़मर लगता है
ढूंढ आये हैं ख़ुशी हम घर घर
ये हमें आखिरी घर लगता है
यूँ तो है बात बड़ी छोटी पर
बात करते हुए डर लगता है
एक तेरे ही नहीं होने से
ये ज़हां ज़ेरोज़बर लगता…
ContinueAdded by Rana Pratap Singh on December 26, 2013 at 11:39am — 28 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |