संक्रमित संस्कृति हमारी, सभ्यता गतिमान है |
सद्कथाएँ मिथ न हों इसका हमे ना भान है |
पर्यावरण दूषित हुआ यह क्या नही प्रमाण है ?
लुप्तप्राय कुछ जंतु जिसमें गरुण का अवसान है |
अंधानुकर विज्ञान का यह क्या हमारी भूल है ?
उस कृत्य से वंचित हुए हम जो जीवन का मूल है ?
सारा जहाँ ही देखिये जिस कृत्य में मसगूल है,
भौतिकता की चाह में सर्वत्र चुभता शूल है |
कल्पतरु मेरी ये वसुधा अनगिनत उपहार देती,
थोड़ा भी यदि श्रम करें…
ContinueAdded by SHARAD SINGH "VINOD" on December 29, 2014 at 3:00pm — 14 Comments
चुनावी समा बाँधना हो जभी वो,
गली में लुटाते रुपैया तभी वो|
लुटा हाट में नोट वोटें बटोरे,
यही वो घड़ी जो भुनाते चटोरे ||
बनायें-बिगाड़ें, सभी पे तुले वो,
इसारा मिले बर्तनें भी धुलें वो|
दिखे जो हुआ आपसे वोट लेना,
विजेता हुए तो, अधेला न देना ||
कभी ज्ञान की ज्योंति जाया न होगी,
बली पुष्ट होते निरा मूढ़-रोगी |
मिटाये अँधेरा डगोँ को बढ़ाए,
यही ज्योंति प्रेरा शिखा पे…
Added by SHARAD SINGH "VINOD" on December 21, 2014 at 6:00pm — 11 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |