Added by SudhenduOjha on June 13, 2016 at 12:36pm — No Comments
Added by SudhenduOjha on June 13, 2016 at 12:31pm — 1 Comment
स्वप्न, बच्चों की आँखों में
पलना चाहिए।
आगया है समय, हमको
बदलना चाहिए॥
जर्जरावस्था है,
बता दो तन को।
उसे, झुक-झुक के
चलना चाहिए॥
बदल रहा है अब,
मौसम का मिजाज़।
उन्हें दरख्तों पर
उतरना चाहिए॥
कुछ परिंदे,
सारी हदों को तोड़ते हैं।
बुलंद हौसलों को
करना चाहिए॥
मेरा सच,
दुनिया के सच से ख़ूब है।
‘आप’ को इसे
समझना चाहिए॥
‘निर्भया’ से…
ContinueAdded by SudhenduOjha on June 12, 2016 at 7:30pm — 2 Comments
गान मेरा स्वांस है,
यह अजब विश्वास है
दूरियाँ ही दूरियाँ हैं
लक्ष्य तक,
तम ही तम है
सूर्य के द्वार तक
पाँव में
सर्पदंशी फांस है
गान मेरा स्वांस है,
यह अजब विश्वास है
ओस में कागज़ों से
मुस गए हैं आदमी
भय अजब सा लिए घरों में
घुस गए हैं आदमी
दीप उज्ज्वल
एक मेरे पास है
गान मेरा स्वांस है,
यह अजब विश्वास है
हाशिये से उतर…
ContinueAdded by SudhenduOjha on June 12, 2016 at 2:32pm — 2 Comments
कह के तो नहीं गया था,
-पर सामान रह गया था
समय का ऐसा सैलाब,
-वजूद भी बह गया था
क्या आए हो सोच कर,
-हर चेहरा कह गया था
बाद रोने के यों सोचा,
-घात कई सह गया था
गिरा, मंज़िल से पहले,
-निशाना लह गया था
पुरजोर कोशिश में थी हवा,
-मकां ढह गया था
तुम आए, खैरमकदम!
-वरक मेरा दह गया था?
मौलिक है, अप्रकाशित भी
सुधेन्दु ओझा
Added by SudhenduOjha on June 9, 2016 at 7:30pm — 7 Comments
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