For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI's Blog (5)

असमर्थ ( लघुकथा )

इनआर्बिट माल से सागर ने आफिस के लिए फॉर्मल ड्रेसेस तो खरीद लीं थीं। अभी और ज़रूरी परचेसिंग बाकी थी। तभी अनायास उसकी नज़र एक टॉय सेन्टर पर पड़ी। बड़े से हाल में, एक रिमोट कंट्रोल्ड एयरोप्लेन गोल- गोल चक्कर लगा रहा था। उसे देखते ही सागर को अपना बचपन याद आ गया। अपने होमटाउन के सिटिमार्केट से गुज़रते वक़्त ऐसे ही एक खिलौने की दुकान से उसने चाबी से चलने वाले हवाई जहाज़ को खरीदने की ज़िद की थी और अपनी ज़िद पूरी करवाने के लिए…

Continue

Added by MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI on July 21, 2018 at 11:30pm — 5 Comments

तसल्ली  (लघुकथा)

 "अरे  ...  ये तुम्हारा नेटवर्क कभी भी आता - जाता रहता है। मैं तो परेशान हो गया। पुराना बदल कर, ये तुम्हारी कम्पनी का नया वाला ब्रॉडबेंड लिया। उसका भी यही हाल है। 

 तुम ही बोल रहे थे न , ...  कि इसमें कोई दिक्कत नहीं होगी।  सर्विसिंग भी अच्छी है। अब तुम्हारे साथ भी वही रोना है।" शर्मा जी  ने गुस्से से कहा।
नहीं सर, आपको कोई दिक्कत नहीं होगी।

"ये लीजिये कनेक्टिविटी आ गई।",  उसने मॉडेम सेट करते हुए बोला । …
Continue

Added by MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI on July 19, 2018 at 8:00pm — 6 Comments

"मानसून की पहली बारिश का मज़ा" (लघुकथा - हास्य व्यंग्य)

मौसम विभाग ने तो मई के अंतिम सप्ताह में ही सम्भावना व्यक्त कर दी थी कि इस साल औसत से कहीं अधिक बारिश होगी । सभी लोग इस खबर को पढ़ कर खुश भी थे ।   कल रात से ही मानसून का सिस्टम सक्रिय हो गया । बहुत तेज़ गरज के साथ बादलों की आवाजाही होने लगी। 

 एक दम काली घटा ने सारे आसमान पर जैसे क़ब्ज़ा जमा लिया हो। रात से ही मूसलाधार बारिश हो रही थी।   सौरभ जैसे ही सुबह दस बजे घर से आफिस के लिए कार में जैसे ही बैठा , श्रुति बारिश में भीगती आईं , कार के…
Continue

Added by MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI on July 7, 2018 at 11:30pm — 9 Comments

" उमस " ( लघु कथा )

" हेलो - क्या हाल है , आसिफ ? " मैं तो ठीक हूँ तलत ,

" लेकिन मौसम बहुत बेकार है दिन भर बादलों की आना जाना जारी है लेकिन बारिश की कोई संभावना नज़र नहीं आती । घनघोर घटाएँ छाती तो हैं लेकिन वैसी बारिश नहीं होती जैसी होनी चाहिए। हलकी फुल्की फौहार थोड़ी देर के लिए माहौल में ठंडक पैदा कर देती। सूरज की तपिश इसी ठंडक को उमस में परिवर्तित कर देती है। बस ये उमस ही बर्दाश्त से बाहर है। बड़ी बेचैनी होती है। एक अजीब सी घुटन है। 

काश ! कोई इन घटाओं से कह दे आएं…

Continue

Added by MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI on August 20, 2017 at 6:50am — 6 Comments

" फर्ज " ( लघु कथा )

देख , रुचि - " अंश बहुत अच्छा लड़का है । घर के लोग भी कुलीन हैं और फिर बैंगलोर में ही है । शादी के बाद तुझे जॉब भी स्विच नहीं करना पड़ेगा । तेरे पिताजी ने तो पंडित जी से कुंडली भी मिलवा ली है। 

अब तू ,ना ... मत करना । इन्हें भी तेरी बहुत चिंता है । एक ही साल तो रह गया है रिटायर होने में ।। 

नहीं माँ , ... " मैं कितनी बार बोल चुकीं हूँ । अभी मुझे शादी नहीं करनी । जब करनी होगी तो बता दूँगी ।"…

Continue

Added by MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI on August 20, 2017 at 1:11am — 5 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service