For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dinesh solanki's Blog (7)

सावन की कसम

सावन की कसम 

कसक  उठी मन में

तार दिल के झनझना दिये.

बारिश की फुहारों ने

तपते बदन को छू

नस नस में तूफ़ान मचा दिये.

उफ़ ! सावन के इस ग़दर ने

प्रियतम की प्यास बढ़ाकर

मस्तिष्क की तरंगों को

कई गुना शून्य लगा दिये.

अब तुम आ जाओ प्रिये

एक एक पल न गुजर रहे ,

तुम्हे सावन की कसम

जो यदि नज़र फेर चल दिये.

 

-दिनेश सोलंकी 

स्वरचित और अप्रकाशित 

Added by dinesh solanki on August 9, 2013 at 5:00pm — 7 Comments

स्वर्ग है फिर आपका क्या काम?

स्वर्ग है फिर आपका क्या काम? 

अमरनाथ गुफा हो, बद्रीनाथ, केदारनाथ, मान सरोवर, आदि प्राकृतिक स्थल की यात्रा हो...हर व्यक्ति लौटकर एक ही जवाब देता है......क्या स्वर्ग है. क्या देव भूमि है ...समझ में नहीं आता जब वो देव भूमि है, स्वर्ग है...तो आप वहां क्यों जा रहे हैं? देवों की पवित्र भूमि पर आप धरतीवासी कदम रखकर उनकी भूमि को अपवित्र क्यों कर रहे हो? क्या वहां जाने वाले सभी शुद्ध मन, विचार के होते हैं? क्या जिंदगी में दो नंबर का धन कमाने वाले भ्रष्ट आचरण के लोग वहां जाने से परहेज करते हैं?…

Continue

Added by dinesh solanki on July 7, 2013 at 9:22am — 6 Comments

दिल से सुन ओ भाई .... ---------------------------

दिल से सुन ओ भाई ....

---------------------------

किसी की किस्मत पर जलने वालों के

दिलों को ठंडक कहाँ मिलती है,

किस्मत के धनी को इनकी परवाह भी कहाँ होती है.

देख उस खुदा की तरफ जिसने जहाँ बनाया...

तुझे और मुझे खाली हाथ यहाँ भिजवाया.

सद-कर्म से तू मर्म और धर्म का ईमान रख

अपने पे भरोसा कर, नेकी की राह चल.

बुलंदी के रास्ते तो खुद-ब खुद खुल जायेंगे

जलता रहा गर यूँ ही अगर

मातम के दरवाज़े पीढ़ी दर पीढ़ी खुल जायेंगे.

- दिनेश

शुभ…

Added by dinesh solanki on June 13, 2013 at 6:10am — 8 Comments

हिंदी का आम के लिए सरल उपयोग हो

प्रिय मित्रों, 

हिंदी में आम पाठकों के लिए क्लिष्ट भाषा का उपयोग नहीं होना चाहिए, ऐसा मेरा मानना है. हिंदी निश्चित ही अपार शब्दों का समंदर है जिसमे सरल से लेकर कठिन, उच्च और बौद्धिक शब्दों की भरमार है. साहित्यकारों, हिंदी प्रेमियों, हिंदी विषय के ज्ञाताओं और हिंदी का ज्ञानार्जन करने वालों के सन्मुख क्लिष्ट भाषा का उपयोग समझ आता है मगर जब आम पाठकों, श्रोताओं, दर्शकों की बात सामने आती है तब कवि को, लेखक को, नेता को, साहित्यकार को,  मीडिया को या कोई भी रचनाकार को आम जनता की मनोस्थिति,…

Continue

Added by dinesh solanki on May 31, 2013 at 7:51am — 7 Comments

तब होके रहेगा गोल...!

तब होके रहेगा गोल...!

---------------------------

पूछा मैंने नन्ही शहरी चिड़िया से

तपती धरती पर तुम क्यों

इस तरह उतर आई .....!

आकाश की ओ स्वछन्द परी,

स्वार्थी इंसानों की दुनिया में

नाहक ही मरने को आयी?

बोली बेचारी मायूस होकर

जहाँ जहाँ था हमारा बसेरा

वहां वहां कट गये वृक्ष के आशियाने

तन गए इंसानों के गगनचुम्बी महल

ये देख हमारी बिरादरी के दिल गए दहल.

अब न मिलती छाँव है

न हवा, न मिलता कहीं जल है.

मैं सोच रही…

Continue

Added by dinesh solanki on May 30, 2013 at 8:30am — 11 Comments

चले चलो, बढे चलो...

चले चलो, बढे चलो...

------------------------

बढे चलो, बढे चलो

हिन्द के ओ सुरमाओ

बढे चलो, बढे चलो

सीमाओं की तुम ढाल हो,

रणभूमि की तुम नाल हो,

देश के द्वारपाल हो

माँ के तुम लाडले,

वतन के तुम कर्णधार हो,

बढे चलो बढे चलो

दुश्मन तुम्हे निहार रहा

ताक़त को है ललकार रहा

लहू को अपने उबाल के

जान अपनी वार के

धरती पर उसको मार के

बढे चलो बढे चलो.

-दिनेश सोलंकी

-फोटो महू छावनी के माल रोड का, छाया: दिनेश…

Continue

Added by dinesh solanki on May 23, 2013 at 7:00am — 6 Comments

सोच जनता की नहीं आपके आचरण की बदलनी होगी..

कॉंग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट की उस टिपण्णी पर ऐतराज़ जताया है की सी बी आई को 'तोता' क्यों कहा? यहाँ दिग्गी राजा का कहना सही लगता है की सुप्रीम कोर्ट को टिपण्णी करने के बजाय फैसला देकर जवाबदेही तय करना चाहिए. दरअसल पिछले कुछ समय से आम जनता भी महसूस कर रही है की कोर्ट की सरकारों को दी जाने वाली बार-बार लताड़ का नतीजा आखिर क्या निकलता है. इससे तो आम सन्देश ये भी जा रहा है की कोर्ट द्वारा सख्त टिप्पणियों को करने के बाद भी देश में भ्रष्टाचार, जघन्य अपराधों में कोई कमी नहीं आ…

Continue

Added by dinesh solanki on May 14, 2013 at 7:10am — 2 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service