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Amod shrivastav (bindouri)'s Blog – October 2015 Archive (2)

हम दर्द हो कितने बड़े

हमदर्द हो कितने बड़े..

2212-2212-2212-22



हो जो सियासत प्यार में रब भूल जाता हूँ

हमदर्द हो कितने बड़े तब भूल जाता हूँ



उम्दा है जबतक एक हैं कोई न हो मजहब

मैं प्यार में रब सारे मजहब भूल जाता हूँ



समशीर हाथो से हटा सजदा किया मैंने

हाँ मातृभूमी के लिए सब भूल जाता हूँ

रणभूमि में उतरूँ जो मैं सब भूल जाता हूँ

वादी हवा में मिल रहा अब अक्स है उनका

मैंख्वार मेरा मन सब सबब भूल जाता हूँ



हाँ तू वफ़ा है जिंदगी तेरी इनायत सब

तू… Continue

Added by amod shrivastav (bindouri) on October 27, 2015 at 8:30am — 9 Comments

हमें एक बार

हमें एक बार फिर से मुस्कुराना चाहिए----

1222-1222-1222-12



हमें एक बार फिर से मुस्कुराना चाहिए

उसी टूटे ह्रदय से गीत गाना चाहिए



लगी ठोकर मुहब्बत की गिरे जो राह में

हमें तो दिल से दिल को फिर मिलाना चाहिए



जमीं से चाँद तारों तक सजाया प्यार है

सजा में मौत भी हो तो निभाना चाहिए



सफर अपना भले ही साहिले गर्दिश में हो

दिया हो पास में तो फिर जलाना चाहिए



यूँ हिम्मत हार कर ना बैठ मेरे हम सफर

बहरों को हमें फिर से बुलाना… Continue

Added by amod shrivastav (bindouri) on October 25, 2015 at 9:42pm — 8 Comments

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