आग की तरह के शब्द,
मेरी आत्मा में जलाते है ,
मैं अपने आप को खोया पाता हूँ ,
नियंत्रण, रखना प्रतीत नहीं हो सकता है,
इरादे लटक जाते
फांसी पे एक ध्रुव की ,
और प्यार धुंधला हो जाता है,
आँखों की कालिमा से
"मौलिक व अप्रकाशित"
Added by narendrasinh chauhan on November 24, 2018 at 3:35pm — 5 Comments
मेरी आँखें बंद करो
और इस तरह से
दुनिया को बंद करना
मैं तुम्हें फिर मिलूंगा
तुम शानदार हो
जीवित और ज्वलंत
मेरे सीने से गहरी सांस लेना
मैं तुम्हारी मुस्कान की तस्वीर बना लूँगा
तुम्हारी आंखों के पीछे का नरम प्रकाश
मेरे दिमाग में यादों का मीलो चलना
इच्छा है कि मैं एक चील की तरह झपट के
और तुम्हें उस जगह ले जाऊ
जिस जगह जहां आँसू गिरते थे
जबकि हम आमने-सामने बैठे थे
एक दूसरे के गाल पर हाथ
फुसफुसाते हुए "सब ठीक…
Added by narendrasinh chauhan on November 3, 2018 at 2:30pm — 2 Comments
मैं
एक पंख
बिना उद्देश्य से उड़ता
भाग्य की हवा की चोटी पर अनियंत्रित
हवा की धाराओं पर
मुझे
कृपया प्रेरित करे
शायद एक दिन
भाग्य एक यादृच्छिक हवा
मुझे ले जाये
जहां मैं कभी नहीं उड़ा
उस दिशा में
जो अंततः
मुझे पहुचाये
आपके करीब
अमोलिक अप्रकाषित
Added by narendrasinh chauhan on September 4, 2018 at 12:28pm — 3 Comments
पेंसिल या पेन
किस तरह का स्याही
आप फैल रहे हैं?
आग पर कीबोर्ड
सपने और इच्छाएं
कुछ हास्य
कुछ आँसू
गंभीरता एक खुराक
जीतने वाले शब्द
शब्दों को विभाजित करना
शब्द जो हमें एक साथ लाते हैं
शब्द जो जीवन बोलते हैं
कोई बात नहीं कविता या टुकड़ा
कविता है
और हमेशा जीवित रहेगी
मौलिक व अप्रकाशित.
Added by narendrasinh chauhan on March 22, 2018 at 1:13pm — 4 Comments
क्या यह मुझे जानने में मदद करेगा
वहां उनकी हंसी है
रिक्त स्थान में भर
हवा में फसी
क्या यह मुझे सीखना शांत करेगा
हर जगह से आनंद के फैल आँसू
दिल खुश से विस्फोट
जैसा कि यह केवल उचित है.
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by narendrasinh chauhan on June 1, 2017 at 4:08pm — 1 Comment
ईर्ष्या
कृपया मुझे छोड़ दें
मुझे मुक्त चलने दें
तेरी समझ से
ईमानदारी
कृपया मुझे में भर
मेरे शब्दों को मुक्त कर
उस विश्वास के साथ
मूर्खता
कृपया मुझे छोड़ दें
मुझे दो बार सुन लेकिन बोल
एक आवाज़ के साथ
अखंडता
कृपया मुझे सशक्त कर
मेरे दिमाग और शरीर को ऊपर ले
सही विकल्प बनाने के लिए
मौलिक एवं अप्रकाशित ।
Added by narendrasinh chauhan on May 27, 2017 at 10:30am — 1 Comment
यह तुम्हारी आंखें है
यह तुम्हारा मुंह है
यह तुम्हारी मुस्कुराहट है
तुम्हारा दिल
तुम्हारी हंसी
लेकिन यह मेरा दिल है
मेरा डर
यह मेरा प्यार है
मेरी उम्मीद
मैं जिसके लिऐ हूँ
Added by narendrasinh chauhan on May 26, 2017 at 9:57am — 2 Comments
जब यहां खड़े हो रहे हैं
तुम्हारे साथ
मुझे नहीं पता क्या करना है
या कौन हूँ
खो गया और टूटा हुआ
आदमी
बाहर जोड़े अपने
हाथ
मुझे नहीं पता
कब बारी है
मुझे बहा दिया गया
आपके द्वारा
कुचला और टूटा भी
अब मुझे नहीं पता कि मैं कौन हूँ ...
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by narendrasinh chauhan on May 24, 2017 at 12:30pm — 3 Comments
कविता ने
चूमा
उसके
दिल को
मायनों में
एक आदमी में
कभी नहीँ
था
इतना
साहस
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Added by narendrasinh chauhan on May 8, 2017 at 12:34pm — 5 Comments
भरा विश्व सारा मेरे नयन में ,
गगन का विश्राम है मेरे नयन में .
तिरस्कार सामने है मैत्री की सगाई
करुणा सागर है मेरे नयन में
धनुष मेघ जीवन का है ऐसा रचा
सफल रंग लहराता मेरे नयन में
कर्तव्य वृक्ष है उपवन में उगे
खिले स्नेह पुष्प है मेरे नयन में
बदले थे पथ विभन्न जन्म में
नया एक पथ है मेरे नयन में
न करना न सहेना , रोना न खेलना
मुक्तीकी छाया है मेरे नयन में...................…
Added by narendrasinh chauhan on May 5, 2015 at 3:00pm — 7 Comments
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