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ग़रीब हूँ मैं मगर शौक इक नवाबी है(८०)

(1212 1122 1212 22 /112 )

ग़रीब हूँ मैं मगर शौक इक नवाबी है
ख़िज़ाँ की उम्र में भी दिल मेरा गुलाबी है
**
अधूरा काम कोई छोड़ना नहीं आता
कि मुझ में बचपने से एक ये ख़राबी है
**
मेरे लिए ही सनम क्यों हया का है पर्दा
रक़ीब से तो बहुत तेरी बेहिजाबी है
**
यक़ीन आता नहीं आज चन्द लोगों की
न फ़िक्र और न ही सोच इंकलाबी है
**
फिर एक बार उठाया है नफ़रतों ने सर
कहाँ पे आज हुई गुम सुकूँ की चाबी है
**
सुकूँ की धूप सहर-शाम बाँटता हूँ मैं
अभी तलक मेरी फ़ितरत ये आफ़ताबी है
**
उक़ाब* चुग रहे हैं इन दिनों सुना दाना (*बाज़ )
कबूतरों की हवस हो गई उक़ाबी है
**
मिले जो रौंद के अपने की लाश पावों से
ख़ुदा ही जाने कि ये कैसी कामयाबी है
**
किसी की चश्म की मय जबसे पी है तब से 'तुरंत '
बग़ैर मय को पिये तन-बदन शराबी है
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 7, 2020 at 6:26pm

भाई Salik Ganvir  जी , उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार | 

Comment by सालिक गणवीर on April 7, 2020 at 4:27pm
आदरणीय गहलोत जी
एक शानदार ग़ज़ल पोस्ट करने पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें. वाह.
कबूतरों की हवस हो गई उक़ाबी है. लाजवाब मिसरा
Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 7, 2020 at 10:14am

आदरणीय TEJ VEER SINGH जी , आदाब , आपके उत्साहवर्धक सराहना के लिए हार्दिक आभार 

Comment by TEJ VEER SINGH on April 7, 2020 at 8:56am

हार्दिक बधाई आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी जी।बेहतरीन गज़ल।

मिले जो रौंद के अपने की लाश पावों से
ख़ुदा ही जाने कि ये कैसी कामयाबी है

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 6, 2020 at 6:34pm

आदरणीय  Samar kabeer साहेब , 

आपकी   पुरखुलूस  हौसला  अफ़ज़ाई  का  दिल  से  शुक्रग़ुज़ार  हूँ . सादर नमन | 

Comment by Samar kabeer on April 6, 2020 at 4:31pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।

'ग़रीब हूँ मैं मगर शौक इक नवाबी है'

इस मिसरे में क़ाफ़िया दुरुस्त नहीं,सहीह शब्द है "नव्वाबी",देखियेगा ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 5, 2020 at 5:50pm

आपने रचना को सराहा। आपके स्नेह के लिए अंतस्थल से आभारी हूँ। सादर नमन भाई Sushil Sarna जी | 

Comment by Sushil Sarna on April 5, 2020 at 2:43pm

वाह क्या शे'र है सर..... गज़ब की अदायगी है। .... खूबसूरत अहसासों के खूबसूरत अशआर ... दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत जी ... सादर

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