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आंखें आंखें अद्भुत आंखें,नित नए रूप बदलती आंखें

सबकुछ कहतीं पर चुप रहतीं,नित नए रूप दिखाती आंखें 

कहीं तो ज्वालामुखी हैं आँखें,कहीं झील सी गहरी आंखें 

मंद मंद मुस्काती आँखें,कहीं उपहास उडा़ती आंखें 

हिरनी सी चंचल ये आँखें,डरी डरी सहमी सी आंखें 

लज्जा से भरी अवगुंठित आँखें,फिर टेढी चितवन वाली आंखें 

कहीं प्यार बरसाती आंखें,कहीं पर सबक सिखाती आंखें 

ममता भरी वो भीगी आँखें,सजदे में झुक जाती आंखें 

क्रोध से लाल धधकती आँखें,मेघों सी वो बरसती आंखें 

दैन्य भाव दर्शाती आंखें,हठ और गर्व भरी वो आंखें 

एक दृष्टि सबकुछ कह जाती,ऐसी जादूभरी ये आंखें 

अनुपम है आंखों की ज्योती,सृष्टि का उपहार ये आंखें 

मौलिक/अप्रकाशित   

   वीणा 

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Comment by Veena Gupta on July 10, 2021 at 6:09pm

स्नेही धामी जी ,आभार आपका

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 10, 2021 at 7:32am

आ. वीणा जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by Veena Gupta on June 30, 2021 at 6:40pm
भाई अमीर जी,रचना की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद .आपकी प्रतिक्रियाओं का सदैव स्वागत है
Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on June 30, 2021 at 8:50am

आदरणीया वीणा गुप्ता जी आदाब, अद्भुत। आँखों की विभिन्न भाव-भंगिमाओं का सुन्दर और सजीव चित्रण किया है आपने, ढेरों बधाईयाँ स्वीकार करें। सादर।

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