For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

२२१/२१२१/२२१/२१२
*

अपनी शरण में लीजिए आकार दीजिए

जीवन को एक दृढ़ नया आधार दीजिए।।
*
व्याख्या गुणों की कीजिए दुर्गुण निथार के
सारे जगत को  मान्य  हो वह सार दीजिए।।
*

पथ से  परोपकार  व  सच  के  न दूर हों

नैतिक बलों की शक्ति का संचार दीजिए।।
*
अच्छा करें तो  हौसला  देना  दुलार कर
करदें गलत तो वक़्त पे फटकार दीजिए।।
*
गुरुकुल बृहद सा गेह है मुझको लगा यही
अनुरूप  घर  के  आप  हमें प्यार दीजिए।।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 341

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 13, 2022 at 3:27pm

आ. भाई समर जी, पुनः उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए आभार।

Comment by Samar kabeer on September 13, 2022 at 11:05am

भाई लक्ष्मण जी, मेरे कहे को मान देने के लिए धन्यवाद ।

'पथ से परोपकार व सच के न दूर हों'

ये मिसरा ठीक है ।

'अच्छा करें तो हौसला देना दुलार कर
करदें गलत तो वक़्त पे फटकार दीजिए'

ये शे'र ठीक है ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 13, 2022 at 7:34am

आ. भाई समर जी सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद आपकी उपस्थिति से मंच पर फिर रौनक आ गयी है। गजल पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए आभार।

'अपनी शरण में लीजिए आकार दीजिए' --सर्वोत्तम सुझाव है।
//
'भटकें न पथ से सत्य व परमार्थ के कभी'-- इस मिसरे की बह्र चेक करें I //
*इसमें सुधार किया है देखिएगा । कौन सा अधिक उपयुक्त है बताइएगा।
/भटकें परोपकार व पथ से न सत्य के/
//पथ से परोपकार व सच के न दूर हों//

'(देना दुलार अच्छे को बढ़ते रहें नियत
'-- इस शे`र के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है, भाव भी स्पष्ट नहीं देखिएगा I )
*इसे इस प्रकार देखें-
//अच्छा करें तो हौसला देना दुलार कर
करदें गलत तो वक्त पे फटकार दीजिए//

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 10, 2022 at 8:45pm

आ. भाई अमीरुददीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार। 

Comment by Samar kabeer on September 9, 2022 at 6:15pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्चा है, बधाई स्वीकार करें  I 

अआपने ग़ज़ल के अरकान ग़लत लिखे हैं, इसके अरकान हैं २२१ २१२१ १२२१ २१२  

'लेकर शरण में आप की आकार दीजिए'--इस निसरे का वाक्य विन्यास ठीक नहीं, उचित लगे तो यूँ कहें :-

'अपनी शरण में लीजिए आकार दीजिए'

'भटकें न पथ से सत्य व परमार्थ के कभी'-- इस मिसरे की बह्र चेक करें I 

'देना दुलार अच्छे को बढ़ते रहें नियत
सुधरे न भूल वक्त पे फटकार दीजिए'-- इस शे`र के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है, भाव भी स्पष्ट नहीं देखिएगा I 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 5, 2022 at 8:31pm

जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, शिक्षक दिवस पर अच्छी रचना हुई है, हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
Sunday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service