For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहुत अकेले जोशीमठ को रोते देख रहा हूँ- गीत १३(लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

सदियों पावन धाम रहा जो खोते देख रहा हूँ
बहुत अकेले जोशीमठ को रोते देख रहा हूँ !
*
केवल अपनी  पीड़ा  से  जो, दरक  नहीं  रहा है
पूर्ण हिमालय की पीड़ा को, उसने आज कहा है।।
पानी रिसना  बोल  रहे  सब, देख फूटतीं धमनी
खोद खोद कर देह सकारी, जब कर बैठे छलनी।।
नयी सभ्यता के प्रलय को होते देख रहा हूँ
बहुत अकेले जोशीमठ को रोते देख रहा हूँ।।
*
सिर्फ़ सैर के लिए हिमालय, सबने मान लिया है
इसीलिए तो अघकचरा सा हर निर्माण किया है।।
जो संचालक देश - राज्य के, सोये गहरी नींद लिए
और योजनाकार यहाँ के, लेकर लालच नित्य जिए।।
ताने चादर अब तक उनको सोते देख रहा हूँ
बहुत अकेले जोशीमठ को रोते देख रहा हूँ ।।
*
बदरीनाथ का द्वार कहाता लेकिन जर्जर आज हुआ
पुण्य करेगा काम न कोई , न ही  करेगी  काम दुआ।।
चेताया था विगत तपोवन, उससे पहले उत्तरकाशी
नींद न आती अब रातों को, मिटने वाले हैं रहवासी।।
जीवन पथ पर शूल बहुत ही बोते देख रहा हूँ।
बहुत अकेले  जोशीमठ  को रोते देख रहा हूँ ।।
*
दसकों सिसकी रोज अकेले, डूब गयी फिर टिहरी
उस के जैसे सिसक रही है, अब बदरी की देहरी।।
नव विकास के नाखूनों से, फटन देह पर भारी
समय लिख रहा तीव्र गति से, ये कैसी लाचारी।।
थोड़े सुख को अन्त जिन्दगी होते देख रहा हूँ
बहुत अकेले  जोशीमठ  को रोते देख रहा हूँ ।।
*
हर परवत के सौदागर नित, डाल अधर पर ताला
घूम रहे हैं कण्ठ सजाये, अन्ध विकास की माला।।
रहवासी के हर्ष दुहित कर, भरते निज का प्याला
जो भी चुनकर संसद पहुँचा, बना लूटने वाला।।
हाथ सभी को बढ़चढ़ अपने धोते देख रहा हूँ
बहुत अकेले जोशीमठ को रोते देख रहा हूँ ।।
*
कोई नगर न कहने वाला, ना सुध लेने वाला
कटे हाथ से पर्वत वासी, क्या फोड़ेगा छाला।।
जिम्मेदारी जिन की बनती, वो भाड़े के टट्टू
अपने आकाओं के हित में, नाचे बनकर लट्टू।
उनकी रटाई बात बोलते तोते देख रहा हूँ।
बहुत अकेले जोशीमठ को रोते देख रहा हूँ।।
**
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 280

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 1, 2023 at 3:25pm

आ. गीता जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on January 30, 2023 at 10:57pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 29, 2023 at 3:26pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आभार ।

Comment by Samar kabeer on January 29, 2023 at 2:22pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी अआदाब, अच्छा गीत हुआ है, बधाई स्वीकार करें I 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 29, 2023 at 8:24am

आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 25, 2023 at 6:17pm

उत्तम सत्य से उत्प्रेरित गीत रचना आदरणीय... बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय नीलेश जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए  गिरह शानदार…"
19 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  मतला और गिरह ख़ूब…"
22 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय Aazi जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए गुणीजनों की इस्लाह से और भी…"
24 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"यूँ तो ग़ज़ल देखने में अच्छी है फिर भी मेरा दृष्टिकोण प्रस्तुत है। मुझसे है अगर प्यार जताने के लिए…"
27 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"221 1221 1221 122 मुश्किल में हूँ मैं मुझको बचाने के लिए आ है दोस्ती तो उसको निभाने के लिए आ 1 दिल…"
31 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक…"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल पर नज़र ए करम का जी गुणीजनो की इस्लाह अच्छी हुई है"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मार्ग दर्शन व अच्छी इस्लाह के लिए सुधार करने की कोशिश ज़ारी है"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सहृदय शुक्रिया आदरणीय इतनी बारीक तरीके से इस्लाह करने व मार्ग दर्शन के लिए सुधार करने की कोशिश…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन पर आपकी सूक्ष्म समीक्षात्मक उत्तम प्रतिक्रिया का दिल…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"मतला नहीं हुआ,  जनाब  ! मिसरे परस्पर बदल कर देखिए,  कदाचित कुछ बात  बने…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आराम  गया  दिल का  रिझाने के लिए आ हमदम चला आ दुख वो मिटाने के लिए आ  है ईश तू…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service