For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कितना अच्छा लगता है

कितना अच्छा लगता है

यूँ अनायास मिलना

दुनियाँ के गलियारों में

साथ-साथ फिरना

 

अभी छू गई है

पुरवाई गालों को

दे गया चुनौती कौन

दर्द के उबालों को

 

दहलीज को चूम रहे

आँगन अमलतास के

उधेड़ दो न अब घूंघट

क्षणजीवी प्यास के

 

कितनी भारी है

आँखों का सूनापन

सोया सा लगता है

सांसों का सूनापन

 

मन से टकराता है

ऐसे सन्नाटा

कंठ में चुभे जैसे

सेही का कांटा

 

पोर पोर में सरसों फूली

आँखें रसमसाती

मधु अतीत की सुगंध पीकर

पांखें कसमसाती

Views: 585

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on April 8, 2012 at 9:53am

आदरणीय भ्रमर जी ! जय श्री राधे. रचना की सराहना के लिए आभार.

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on April 8, 2012 at 9:51am

आदरणीय जवाहर जी ! सादर अभिवादन!  सराहना के लिए आभार.

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on April 8, 2012 at 9:50am

आदरणीय गणेश जी ! सादर अभिवादन! रचना की सराहना के लिए आभार.

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on April 8, 2012 at 9:49am

आदरणीय प्रदीप जी ! सादर अभिवादन! सराहना के लिए आभार.

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on April 8, 2012 at 9:47am

धन्यवाद !मृदु जी.सराहना के लिए आभार.

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on April 8, 2012 at 9:44am

संदीप जी !सादर अभिवादन! मैं तो आपकी गजलों का  प्रशंसक हूँ.आपकी सराहना मिली,अच्छा लगा.

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on April 8, 2012 at 9:40am

धन्यवाद ! महिमा जी.आपको रचना पसंद आई,यह जानकर अच्छा लगा.सराहना के लिए आभार.

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on April 8, 2012 at 9:37am

सादर अभिवादन! आदरणीया राजेश कुमारी जी.सराहना के लिए आभार.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 8, 2012 at 12:04am

पोर पोर में सरसों फूली

आँखें रसमसाती

मधु अतीत की सुगंध पीकर

पांखें कसमसाती..

राजीव जी गजब का शब्द बंधन और पोर पोर में रम जाने वाले भाव ...मुबारक हो 
जय श्री राधे 
भ्रमर 5


Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 7, 2012 at 7:56am

अभी छू गई है

पुरवाई गालों को

दे गया चुनौती कौन

दर्द के उबालों को

भावाभियक्ति एवं मर्म का स्पष्ट चित्रण करती रचना पर बधाई स्वीकार करें!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
52 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
58 minutes ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service