तनहा कट गया जिन्दगी का सफ़र कई साल का
चंद अल्फाज कह भी डालिए अजी मेरे हाल पर
मौसम है बादलों की बरसात हो ही जाएगी
हंस पड़ी धूप तभी इस ख्याल पर
फिर कहाँ मिलेंगे मरने के बाद हम
सोचते ही रहे सब इस सवाल पर
खुशबुओं की राह से एक दिन गुजर गया
कहाँ से आ गई ये राह दीवाल पर
शायद इन रस्तों से होकर ख्वाबों में गुजरे
दिखे हैं मुझको सहरा चांद हर जर्रे पर
आसमान थर्राता था जिन आवाजों की जुम्बिश पर
बहरा चांद भी चुप है मेरी आवाजों पर
तेरा आँचल हवाओं में ऐसे लहराता है
दिखे है लहरा चांद नदी के दर्पण पर
और भी छलक जाती हैं निगाह मिलाकर
हश्र तो ये है तुमसे मुलाकात पर
जिसे देखकर बढ़ी जाती है प्यास हर पल
हाल तो ये है लगी झड़ी बरसात पर
जरा गौर फरमाईए 'राजीव' की इस बात पर
उस चांदनी रात का जिक्र क्यों न हो इस ख्याल पर
Comment
शायद इन रस्तों से होकर ख्वाबों में गुजरे
दिखे हैं मुझको सहरा चांद हर जर्रे पर
आसमान थर्राता था जिन आवाजों की जुम्बिश पर
बहरा चांद भी चुप है मेरी आवाजों पर
तेरा आँचल हवाओं में ऐसे लहराता है
दिखे है लहरा चांद नदी के दर्पण पर
और भी छलक जाती हैं निगाह मिलाकर
हश्र तो ये है तुमसे मुलाकात पर
प्रिय राजीव जी ...सुन्दर गजल ...प्रिय प्रियतमा के नाजुक बंधन ....कौन आये बीच में चाँद के .....भ्रमर ५
आदरणीय प्रदीप जी .धन्यवाद ! सराहना के लिए आभार.
दिल में उतर गई तहरीर आपकी
नजर उठा के देखा थी वो तस्वीर आपकी.
बहुत खूब.आपकी प्रतिक्रिया ने आह्लादित कर दिया.
धन्यवाद ! आदरणीय जवाहर जी.सराहना के लिए आभार.
धन्यवाद ! सरिता जी.सराहना के लिए आभार.
शायद इन रस्तों से होकर ख्वाबों में गुजरे
दिखे हैं मुझको सहरा चांद हर जर्रे पर
आसमान थर्राता था जिन आवाजों की जुम्बिश पर
बहरा चांद भी चुप है मेरी आवाजों पर
aavaj do kahan ho tum dunia meri javan hai
aadarniya rajiv sir ji, saadar abhivadan
dil main utar gayi tahrir aapki
najar utha ke dekha thi vo tasvir aapki. badhai.
तेरा आँचल हवाओं में ऐसे लहराता है
दिखे है लहरा चांद नदी के दर्पण पर
और भी छलक जाती हैं निगाह मिलाकर
हश्र तो ये है तुमसे मुलाकात पर
बहुत ही सुन्दर! झा जी बधाई !
rajiv ji namaskar,
bahut hi khubsurat is ghazal ki badhai swikar kijiye....
insan kitna bhi mazbut dikhe par andar koi n koi nazuk dhaga to hota hi hai...
khubsurat nazuk ehsas...
badhai...
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